Jyotish

मंगल और ग्रहों की युति के प्रभाव: राशिफल और उपाय

ग्रहों की युति का फल किस जन्म – लग्न के किस भाव में, किस राशि पर कौन – सा ग्रह स्थित हो, तो उसका क्या फलादेश होता है – इसका विस्तृत किया जा चूका है। अब हम विविध ज्योतिष ग्रथों के आधार पर ग्रहों की युति के फलादेश का वर्णन करते हैं। अर्थात जन्म – […]

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चंद्र और ग्रहों की युति के प्रभाव: राशिफल और उपाय

ग्रहों की युति का फल किस जन्म – लग्न के किस भाव में, किस राशि पर कौन – सा ग्रह स्थित हो, तो उसका क्या फलादेश होता है – इसका विस्तृत किया जा चूका है। अब हम विविध ज्योतिष ग्रथों के आधार पर ग्रहों की युति के फलादेश का वर्णन करते हैं। अर्थात जन्म –

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सूर्य और ग्रहों की युति के प्रभाव: राशिफल और उपाय

ग्रहों की युति का फल किस जन्म – लग्न के किस भाव में, किस राशि पर कौन – सा ग्रह स्थित हो, तो उसका क्या फलादेश होता है – इसका विस्तृत किया जा चूका है। अब हम विविध ज्योतिष ग्रथों के आधार पर ग्रहों की युति के फलादेश का वर्णन करते हैं। अर्थात जन्म –

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नीच ग्रहों की दशा में जीवन कैसे प्रभावित होता है

नीच राशिगत ग्रहों का फल नीच राशिगत ग्रहों का सामान्य – फल नीचे लिखे अनुसार समझना चाहिए – उदाहरण – कुंडली में जिस प्रकार सूर्य को नीच राशिगत दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए। उदाहरण – कुंडली में जिस प्रकार चन्द्रमा को नीच राशिगत दिखाया गया है, उसी प्रकार

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शत्रु राशि में ग्रहों का प्रभाव

शत्रु क्षेत्रगत ग्रहों का फल शत्रु क्षेत्रगत ग्रहों का सामान्य फल नीचे लिखे अनुसार समझना चाहिए – उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार सूर्य को शत्रु – क्षेत्री दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए। उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार चन्द्रमा को शत्रु – क्षेत्री दिखाया गया है, उसी

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ग्रहों के क्षेत्रगत प्रभाव: विविध दृष्टिकोण

मित्र क्षेत्रगत ग्रहों का सामान्य फल मित्र क्षेत्रगत ग्रहों का सामान्य फल नीचे लिखे अनुसार समझना चाहिए – उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार सूर्य को मित्र – क्षेत्री दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए। उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार चन्द्रमा को मित्र – क्षेत्री दिखाया गया है,

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ग्रहों का मूल त्रिकोण राशि में प्रभाव: उच्चतम परिणाम

मूल त्रिकोण राशिगत ग्रहों का फल मूल त्रिकोण राशिगत ग्रहों का सामान्य फल नीचे लिखे अनुसार होता है – उदहारण – कुंडली में सूर्य को जिस प्रकार मूल त्रिकोण राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए | उदहारण – कुंडली में चन्द्रमा को जिस प्रकार मूल त्रिकोण

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ग्रहों का उच्च राशियों में स्थानन: विशेष अर्थ और महत्व

उच्च राशिगत ग्रहों का फल उच्च राशिगत ग्रहों का सामान्य फल नीचे लिखे अनुसार होता है – उदाहरण – कुंडली में जिस प्रकार सूर्य को मेष राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार सूर्य को वृष राशि में स्थित दिखाया गया

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ज्योतिष में ग्रहों की उच्च क्षेत्र, मूल त्रिकोण, और स्वग्रह स्थिति

उच्च क्षेत्र, मूल त्रिकोण तथा स्वग्रह के संबंध में विशेष विचार नवग्रहों के उच्च क्षेत्रीय, मूल त्रिकोणस्थ तथा स्व्ग्रही होने के संबंध में विशेष रूप से नीचे लिखे अनुसार समझना चाहिए :

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द्वादशभाव : ज्योतिष शास्त्र में द्वादश भावों का महत्व

द्वादशभाव जन्म कुंडली में बारह खाने होते हैं | इन्हे “घर” “स्थान” अथवा “भाव” कहा जाता है | जन्म कुंडली के द्वादश भाव ऊपर दी गई उदहारण कुंडली में इन द्वादश भावों को प्रदर्शित किया गया है | जन्म कुंडली के बारह भावों के नाम क्रमश : इस प्रकार हैं : द्वादशभवों का परिचय जन्म

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ग्रहों की प्रकृति और स्वभाव: Astrology and planets

ग्रहों की प्रकृति और स्वभाव किस ग्रह का स्वभाव और प्रभाव कैसा है और उसके द्वारा किन बातों का विचार का विचार किया जाता है, इसे नीचे लिखे अनुसार समझना चाहिए – सूर्य लग्न से सप्तम स्थान में बली तथा मकर राशि में छह राशियों तक चेष्टाबली होता है | सूर्य को पाप ग्रह माना

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जानिए हिन्दू पंचांग की तिथियों और नक्षत्रों के देवताओ के बारे में

तिथियों के स्वामी प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि, द्वितीय के ब्रह्मा, तृतीया की गौरी, चतुर्थी के गणेश, पंचमी के शेषनाग, षष्ठी के कार्तिकेय, सप्तमी के सूर्य, अष्टमी के शिव, नवमी की दुर्गा, दशमी के काल, एकादशी के विश्वेदेवा, द्वादशी के विष्णु, त्रयोदशी के कामदेव, चतुर्दशी के शिव, पूर्णमासी के चन्द्रमा तथा अमावस्या के पितर हैं

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Astrology, ज्योतिष

राशियों के स्वभाव और प्रभाव: ज्योतिष अनुसार विश्लेषण

राशियों का स्वभाव और प्रभाव किसी राशि का स्वभाव और प्रभाव केसा है और उसके द्वारा किन बातों का विचार किया जाता है – इसे नीचे लिखे अनुसार समझना चाहिए :-

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The Significance of the First House in Vedic Astrology

The first house: Vedic astrology, also known as Jyotish, is an ancient Indian system of astrology that provides insights into various aspects of a person’s life based on the position of celestial bodies at the time of their birth. One of the key components of Vedic astrology is the division of the birth chart into

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Astrology

The Role and Importance of Ketu in Vedic Astrology

Vedic astrology, also known as Jyotish, is an ancient system of astrology that originated in India thousands of years ago. It is based on the belief that the positions of celestial bodies at the time of a person’s birth can provide valuable insights into their personality, life events, and future. One of the key components

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Astrology

The Role and Importance of Venus in Vedic Astrology

Vedic astrology, also known as Jyotish, is an ancient Indian system of astrology that has been practiced for thousands of years. It is based on the belief that the positions and movements of celestial bodies can have a profound impact on human life. One of the key planets in Vedic astrology is Venus, which holds

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Astrology

The Role and Importance of Saturn in Vedic Astrology

Introduction Vedic astrology, also known as Jyotish, is an ancient system of astrology that originated in India. It is based on the belief that celestial bodies, including planets, influence human lives and destinies. Each planet has a specific role and significance in Vedic astrology, and one of the most important planets is Saturn. The Nature

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Astrology

The Role and Importance of the Moon in Vedic Astrology

When it comes to Vedic Astrology, the Moon plays a significant role in shaping our lives and personalities. Known as “Chandra” in Sanskrit, the Moon represents our emotions, intuition, and subconscious mind. In this blog post, we will explore the role and importance of the Moon in Vedic Astrology and how it influences various aspects

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Astrology

The Role and Importance of the Sun in Vedic Astrology

When it comes to Vedic astrology, the Sun holds a significant place in the cosmic realm. Known as Surya in Sanskrit, the Sun is considered one of the most powerful celestial bodies in the astrological system. Its influence and importance cannot be overstated, as it plays a crucial role in shaping our lives and the

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Rahu and Ketu in Vedic Astrology: Understanding Their Power

Vedic astrology, also known as Jyotish, is an ancient system of astrology that originated in India. It is based on the belief that the positions of celestial bodies at the time of a person’s birth can reveal valuable insights about their personality, life events, and overall destiny. In Vedic astrology, two shadowy planets called Rahu

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