सप्तम भाव के स्वामी सप्तमेश की विभिन्न भावों में स्थिति और फल

सप्तमभाव का स्वामी ‘ सप्तमेश ‘

  1. सप्तमभाव अर्थात स्त्री एवं दैनिक व्यवसाय के स्थान का स्वामी सप्तमेश यदि लग्न अर्थात प्रथमभाव में बैठा हो, तो जातक अपनी स्त्री में विशेष स्नेह रखने वाला, परंतु अन्य स्त्रियों में भी कुछ स्नेह रखने वाला, भोगी तथा स्वरूपवान होता है |
  2. सप्तमभाव का स्वामी सप्तमेश यदि द्वितीयभाव में बैठा हो, तो जातक की स्त्री दुष्ट – स्वभाव वाली तथा पुत्र की इच्छा रखने वाली होती है | उसे स्त्री के द्वारा धन का लाभ होता है | ऐसा व्यक्ति स्वयं एकांतवास का प्रेमी होता है |
  3. सप्तमभाव का स्वामी सप्तमेश यदि तृतीयभाव में बैठा हो,तो जातक आतमबलि, भाई बंधुओं से प्रेम रखने वाला तथा स्वयं दुखी रहने वाला होता है | यदि सप्तमेश पाप ग्रह हो, तो उसकी स्त्री अपने देवर तथा पति के मित्रों से प्रेम करने वाली होती है |
  4. सप्तमभाव का स्वामी सप्तमेश यदि चतुर्थभाव में बैठा हो, तो जातक चंचल स्वभाव का, अपने पिता के शत्रुओं से प्रेम रखने वाला होता है | उसका पिता कटुभाषी होता है | उसकी स्त्री का पालन पोषण पिता के घर (जातक के ससुराल ) में होता है |
  5. सप्तमभाव का स्वामी सप्तमेश यदि पंचमभाव में बैठा हो, तो जातक भाग्यवान, पुत्रवान, साहसी तथा दुष्ट स्वभाव का होता है | उसकी स्त्री का पालन उसके पुत्र द्वारा होता है |
  6. सप्तमभाव का स्वामी सप्तमेश यदि षष्ठभाव में बैठा हो, तो जातक अपनी स्त्री से वैर रखने वाला, रोगिणी स्त्री वाला तथा स्त्री संग से क्षय – रोग का शिकार बनने वाला होता है | यदि सप्तमेश पाप ग्रह हो तो स्त्री – संगजन्य दोष के कारण जातक की मृत्यु हो जाती है |
  7. सप्तमभाव का स्वामी सप्तमेश यदि अपने ही घर अर्थात सप्तमभाव में बैठा हो, तो जातक दीर्घायु , तेजस्वी निर्मल स्वभाव का तथा सबसे प्रेम रखने वाला होता है |
  8. सप्तमभाव का स्वामी सप्तमेश यदि अष्टमभाव में बैठा हो, तो जातक अपना विवाह न करके वेश्याओं के साथ रमण करता है और प्रतिदिन चिंतायुक्त एवं दुखी बना रहता है |
  9. सप्तमभाव का स्वामी सप्तमेश यदि नवमभाव में बैठा हो, तो जातक सुशील और तेजस्वी होता है | उसकी पत्नी भी सुशील होती है | यदि सप्तमेश पाप ग्रह हो, तो जातक नपुंसक और कुरूप होता है | यदि उसके ऊपर लग्नेश की दृष्टि हो, तो वह नीतिशास्त्र का विशेषज्ञ होता है |
  10. सप्तमभाव का स्वामी सप्तमेश यदि दशमभाव में बैठा हो, तो जातक कपटी, लंपट, राजदोष से युक्त होता है | यदि सप्तमेश पापग्रह हो, तो वह दुःख से पीड़ित एवं शत्रुओं के वश में रहने वाला होता है |
  11. सप्तमभाव का स्वामी सप्तमेश यदि एकादशभाव में बैठा हो, तो जातक की पत्नी सुन्दर, पतिव्रता एवं श्रेष्ठ स्वभाव वाली होती है |
  12. सप्तमभाव का स्वामी सप्तमेश यदि द्वादशभाव में बैठा हो, तो जातक की पत्नी उसके भाइयों तथा मित्रों से प्रेम करती है | वह दुष्ट लोगों से प्रेम करने वाली, पिता से दूर रहने वाली तथा चंचल स्वभाव वाली होती है |

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