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धार्मिक और सांस्कृतिक विचार

शुक्र की महादशा: जीवन में प्रभाव और फलादेश

विंशोत्तरी महादशा के ग्रहों का फलादेश आवशयक टिपण्णी – ग्रहों की महादशा का उक्त फलादेश सामान्य स्थिति में समझना चाहिए | यदि जन्म कुंडली में राहु, केतु, शनि, मंगल आदि क्रूर अथवा अशुभ फल देने वाले ग्रह उच्च राशि में स्वक्षेत्रगत अथवा शुभ फल देने की स्थिति में बैठे हों , तो उस परिस्थिति में […]

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केतु की महादशा: जीवन में प्रभाव और फलादेश

विंशोत्तरी महादशा के ग्रहों का फलादेश आवशयक टिपण्णी – ग्रहों की महादशा का उक्त फलादेश सामान्य स्थिति में समझना चाहिए | यदि जन्म कुंडली में राहु, केतु, शनि, मंगल आदि क्रूर अथवा अशुभ फल देने वाले ग्रह उच्च राशि में स्वक्षेत्रगत अथवा शुभ फल देने की स्थिति में बैठे हों , तो उस परिस्थिति में

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बुध की महादशा: जीवन में प्रभाव और फलादेश

विंशोत्तरी महादशा के ग्रहों का फलादेश आवशयक टिपण्णी – ग्रहों की महादशा का उक्त फलादेश सामान्य स्थिति में समझना चाहिए | यदि जन्म कुंडली में राहु, केतु, शनि, मंगल आदि क्रूर अथवा अशुभ फल देने वाले ग्रह उच्च राशि में स्वक्षेत्रगत अथवा शुभ फल देने की स्थिति में बैठे हों , तो उस परिस्थिति में

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शनि की महादशा: जीवन में प्रभाव और फलादेश

विंशोत्तरी महादशा के ग्रहों का फलादेश आवशयक टिपण्णी – ग्रहों की महादशा का उक्त फलादेश सामान्य स्थिति में समझना चाहिए | यदि जन्म कुंडली में राहु, केतु, शनि, मंगल आदि क्रूर अथवा अशुभ फल देने वाले ग्रह उच्च राशि में स्वक्षेत्रगत अथवा शुभ फल देने की स्थिति में बैठे हों , तो उस परिस्थिति में

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गुरु की महादशा: जीवन में प्रभाव और फलादेश

विंशोत्तरी महादशा के ग्रहों का फलादेश आवशयक टिपण्णी – ग्रहों की महादशा का उक्त फलादेश सामान्य स्थिति में समझना चाहिए | यदि जन्म कुंडली में राहु, केतु, शनि, मंगल आदि क्रूर अथवा अशुभ फल देने वाले ग्रह उच्च राशि में स्वक्षेत्रगत अथवा शुभ फल देने की स्थिति में बैठे हों , तो उस परिस्थिति में

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राहु की महादशा: जीवन में प्रभाव और फलादेश

विंशोत्तरी महादशा के ग्रहों का फलादेश आवशयक टिपण्णी – ग्रहों की महादशा का उक्त फलादेश सामान्य स्थिति में समझना चाहिए | यदि जन्म कुंडली में राहु, केतु, शनि, मंगल आदि क्रूर अथवा अशुभ फल देने वाले ग्रह उच्च राशि में स्वक्षेत्रगत अथवा शुभ फल देने की स्थिति में बैठे हों , तो उस परिस्थिति में

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मंगल की महादशा: जीवन में प्रभाव और फलादेश

विंशोत्तरी महादशा के ग्रहों का फलादेश आवशयक टिपण्णी – ग्रहों की महादशा का उक्त फलादेश सामान्य स्थिति में समझना चाहिए | यदि जन्म कुंडली में राहु, केतु, शनि, मंगल आदि क्रूर अथवा अशुभ फल देने वाले ग्रह उच्च राशि में स्वक्षेत्रगत अथवा शुभ फल देने की स्थिति में बैठे हों , तो उस परिस्थिति में

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चन्द्रमा की महादशा: जीवन में प्रभाव और फलादेश

विंशोत्तरी महादशा के ग्रहों का फलादेश आवशयक टिपण्णी – ग्रहों की महादशा का उक्त फलादेश सामान्य स्थिति में समझना चाहिए | यदि जन्म कुंडली में राहु, केतु, शनि, मंगल आदि क्रूर अथवा अशुभ फल देने वाले ग्रह उच्च राशि में स्वक्षेत्रगत अथवा शुभ फल देने की स्थिति में बैठे हों , तो उस परिस्थिति में

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सूर्य की महादशा: जीवन में प्रभाव और फलादेश

विंशोत्तरी महादशा के ग्रहों का फलादेश आवशयक टिपण्णी – ग्रहों की महादशा का उक्त फलादेश सामान्य स्थिति में समझना चाहिए | यदि जन्म कुंडली में राहु, केतु, शनि, मंगल आदि क्रूर अथवा अशुभ फल देने वाले ग्रह उच्च राशि में स्वक्षेत्रगत अथवा शुभ फल देने की स्थिति में बैठे हों , तो उस परिस्थिति में

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द्वादश भाव के स्वामी व्ययेश अथवा द्वादशेश की विभिन्न भावों में स्थिति और फल

द्वादशभाव का स्वामी ‘ व्ययेश ‘ अथवा ‘ द्वादशेश ‘

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एकादश भाव के स्वामी लाभेश अथवा एकादशेश की विभिन्न भावों में स्थिति और फल

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दशम भाव के स्वामी राज्येश अथवा दशमेश की विभिन्न भावों में स्थिति और फल

दशमभाव का स्वामी ‘ राज्येश ‘ अथवा ‘ दशमेश ‘

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नवम भाव के स्वामी भाग्येश अथवा नवमेश की विभिन्न भावों में स्थिति और फल

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अष्टम भाव के स्वामी अष्टमेश की विभिन्न भावों में स्थिति और फल

अष्टमभाव का स्वामी ‘ अष्टमेश ‘

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पाँच ग्रहों की युति का ज्योतिषीय विश्लेषण: सूर्य, चंद्र, मंगल और अन्य ग्रहों के प्रभाव

ग्रहों की युति का फल किस जन्म – लग्न के किस भाव में, किस राशि पर कौन – सा ग्रह स्थित हो, तो उसका क्या फलादेश होता है – इसका विस्तृत किया जा चूका है। अब हम विविध ज्योतिष ग्रथों के आधार पर ग्रहों की युति के फलादेश का वर्णन करते हैं। अर्थात जन्म –

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तीन ग्रहों की युति का ज्योतिषीय विश्लेषण: मंगल, गुरु और अन्य ग्रहों के प्रभाव

ग्रहों की युति का फल किस जन्म – लग्न के किस भाव में, किस राशि पर कौन – सा ग्रह स्थित हो, तो उसका क्या फलादेश होता है – इसका विस्तृत किया जा चूका है। अब हम विविध ज्योतिष ग्रथों के आधार पर ग्रहों की युति के फलादेश का वर्णन करते हैं। अर्थात जन्म –

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तीन ग्रहों की युति का ज्योतिषीय विश्लेषण: चंद्र, मंगल और अन्य ग्रहों के प्रभाव

ग्रहों की युति का फल किस जन्म – लग्न के किस भाव में, किस राशि पर कौन – सा ग्रह स्थित हो, तो उसका क्या फलादेश होता है – इसका विस्तृत किया जा चूका है। अब हम विविध ज्योतिष ग्रथों के आधार पर ग्रहों की युति के फलादेश का वर्णन करते हैं। अर्थात जन्म –

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सप्ताह के इन 2 दिन झाड़ू खरीदने से आपके घर से रूठकर चली जाती हैं भाग्य लक्ष्मी, जानें कब खरीदना होता है शुभ

झाड़ू का महत्व और इसका धार्मिक संदर्भ भारतीय परंपरा और संस्कृति में झाड़ू का एक विशेष स्थान है। झाड़ू न केवल घर की सफाई का साधन है, बल्कि इसे धार्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। भारतीय समाज में झाड़ू को घर की शुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। इसे

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