ज्योतिष शास्त्र

तृतीय भाव के स्वामी पराक्रमेश अथवा तृतीयेश की विभिन्न भावों में स्थिति और फल

तृतीयभाव का स्वामी ” पराक्रमेश ” अथवा ‘ तृतीयेश ‘

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द्वितीय भाव के स्वामी धनेश अथवा द्वितीयेश की विभिन्न भावों में स्थिति और उनके फल

द्वितीय भाव का स्वामी ‘ धनेश ‘ अथवा ‘ द्वितीयेश ‘

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प्रथम भाव के स्वामी लग्नेश अथवा प्रथमेश की विभिन्न भावों में स्थिति और उनके फल

प्रथम भाव का स्वामी ” लग्नेश ” अथवा “प्रथमेश”

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सात ग्रहों की युति का ज्योतिषीय विश्लेषण: सूर्य, चंद्र, मंगल और अन्य ग्रहों के प्रभाव

ग्रहों की युति का फल किस जन्म – लग्न के किस भाव में, किस राशि पर कौन – सा ग्रह स्थित हो, तो उसका क्या फलादेश होता है – इसका विस्तृत किया जा चूका है। अब हम विविध ज्योतिष ग्रथों के आधार पर ग्रहों की युति के फलादेश का वर्णन करते हैं। अर्थात जन्म –

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छ: ग्रहों की युति का ज्योतिषीय विश्लेषण: सूर्य, चंद्र, मंगल और अन्य ग्रहों के प्रभाव

ग्रहों की युति का फल किस जन्म – लग्न के किस भाव में, किस राशि पर कौन – सा ग्रह स्थित हो, तो उसका क्या फलादेश होता है – इसका विस्तृत किया जा चूका है। अब हम विविध ज्योतिष ग्रथों के आधार पर ग्रहों की युति के फलादेश का वर्णन करते हैं। अर्थात जन्म –

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पाँच ग्रहों की युति का ज्योतिषीय विश्लेषण: चंद्र ,मंगल ,बुध और अन्य ग्रहों के प्रभाव

ग्रहों की युति का फल किस जन्म – लग्न के किस भाव में, किस राशि पर कौन – सा ग्रह स्थित हो, तो उसका क्या फलादेश होता है – इसका विस्तृत किया जा चूका है। अब हम विविध ज्योतिष ग्रथों के आधार पर ग्रहों की युति के फलादेश का वर्णन करते हैं। अर्थात जन्म –

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पाँच ग्रहों की युति का ज्योतिषीय विश्लेषण: सूर्य, मंगल, बुध और अन्य ग्रहों के प्रभाव

ग्रहों की युति का फल किस जन्म – लग्न के किस भाव में, किस राशि पर कौन – सा ग्रह स्थित हो, तो उसका क्या फलादेश होता है – इसका विस्तृत किया जा चूका है। अब हम विविध ज्योतिष ग्रथों के आधार पर ग्रहों की युति के फलादेश का वर्णन करते हैं। अर्थात जन्म –

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पाँच ग्रहों की युति का ज्योतिषीय विश्लेषण: सूर्य, चंद्र, मंगल और अन्य ग्रहों के प्रभाव

ग्रहों की युति का फल किस जन्म – लग्न के किस भाव में, किस राशि पर कौन – सा ग्रह स्थित हो, तो उसका क्या फलादेश होता है – इसका विस्तृत किया जा चूका है। अब हम विविध ज्योतिष ग्रथों के आधार पर ग्रहों की युति के फलादेश का वर्णन करते हैं। अर्थात जन्म –

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जन्मकुण्डली के 12 भाव: आपके जीवन की हर घटना का रहस्य

जन्मकुण्डली, जिसे हम हिन्दी में कुंडली या जठर कुंडली भी कहते हैं, वैदिक ज्योतिष का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह जन्म के समय ग्रहों की स्थिति को दर्शाती है और व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करती है। कुंडली में 12 भाव होते हैं, जिन्हें घर भी कहा जाता है। ये

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