उच्च राशिगत ग्रहों का फल
उच्च राशिगत ग्रहों का सामान्य फल नीचे लिखे अनुसार होता है –
- जिस जातक की जन्म कुंडली में सूर्य उच्च राशि (मेष) का हो, वह धनी, भाग्यवान, नेतृत्व – शक्ति संपन्न, विद्वान्, सेनापति, यशस्वी एवं सुखी होता है |
उदाहरण – कुंडली में जिस प्रकार सूर्य को मेष राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए
- जिस जातक की जन्म कुंडली में चन्द्रमा उच्च राशि (वृष) का हो, वह विलासी, अलंकार- प्रिय, मिष्ठान भोजी, यशस्वी, माननीय, सुखी एवं चपल स्वभाव का होता है |
उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार सूर्य को वृष राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |
- जिस जातक की जन्म कुंडली में मंगल उच्च राशि (मकर) का हो, वह राज्य द्वारा सम्मान प्राप्त, कर्तव्यपरायण, साहसी तथा शूरवीर होता है |
उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार मंगल को मकर राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |
- जिस जातक की जन्म कुंडली में बुद्ध उच्च राशि (कन्या) का हो, वह बुद्धिमान, सुखी, लेखक, संपादक, राजा, राजमान्य, वंश- बुद्धिकर्ता, शत्रुनाशक तथा सुखी होता है |
उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार बुध को कन्या राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |
- जिस जातक की जन्म कुंडली में गुरु उच्च राशि (कर्क) का हो, वह विद्वान, शासक, मंत्री, राजप्रिय, सुशील, चतुर, सुखी, ऐश्वर्यशाली तथा सद्गुणी होता है |
उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार गुरु को कर्क राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |
- जिस जातक की जन्म कुंडली में शुक्र उच्च राशि (मीन) का हो, वह भाग्यवान, कामी, विलासी, संगीत- प्रिय एवं सुखी होता है |
उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार शुक्र को मीन राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |
- जिस जातक की जन्म कुंडली में शनि उच्च राशि (तुला) का हो, वह पृथ्वीपति, कृषक, राजा, जमींदार, यशस्वी, ऐश्वर्यशाली तथा सुखी होता है |
उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार शनि को तुला राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |
- जिस जातक की जन्म कुंडली में राहु उच्च राशि (मिथुन) का हो, वह धनी, शूरवीर, साहसी, लम्पट तथा सरदार होता है |
उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार राहु को मिथुन राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |
- जिस जातक की जन्म कुंडली में केतु उच्च राशि (धनु) का हो, वह सरदार, राजा प्रिय, भ्रमण प्रिय तथा नीच प्रकृति का होता है |
उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार केतु को धनु राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |
- मतान्तर से वृष राशि में स्थित राहु उच्च का माना जाता है | इसका फल भी वही होता है, जो ऊपर मिथुन राशिस्थ उच्च के राहु का बताया गया है |
उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार राहु को वृष राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |
- मतान्तर से वृश्चिक राशि में स्थित केतु उच्च का माना जाता है | इसका फल भी वही होता है, जो ऊपर धनु में स्थित उच्च के केतु का बताया गया है |
उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार केतु को वृश्चिक राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |