तृतीय भाव के स्वामी पराक्रमेश अथवा तृतीयेश की विभिन्न भावों में स्थिति और फल

तृतीयभाव का स्वामी ” पराक्रमेश ” अथवा ‘ तृतीयेश ‘

  1. तृतीयभाव अर्थात भाई – बंधू एवं पराक्रम स्थान का स्वामी पराक्रमेश अथवा तृतीयेश यदि लग्न अर्थात प्रथमभाव में बैठा हो, तो जातक वाद – विवाद करने वाला, कामी, सेवावृत्ति करने वाला, अपने लोगों से मतभेद रखने वाला, दुष्ट मित्रों वाला, कूटनीतिज्ञ तथा झगड़ालू प्रकृति का होता है।
  2. तृतीयभाव का स्वामी पराक्रमेश यदि द्वितीयभाव में बैठा हो और वह पाप ग्रह हो, तो जातक अल्पायु, दरिद्र, भिक्षुक, निर्धन तथा भाई – बंधुओं का विरोधी होता है। यदि पराक्रमेश शुभ ग्रह हो, तो जातक राजा अथवा राजा के समान ऐश्वर्यशाली होता है।
  3. तृतीयभाव का स्वामी पराक्रमेश यदि तृतीयभाव में बैठा हो, तो जातक माध्यम बल वाला, श्रेष्ठ मित्र तथा बंधू बांधवों वाला, देवता एवं गुरु का भक्त तथा राजा द्वारा लाभ एवं सम्मान प्राप्त करने वाला होता है।
  4. तृतीयभाव का स्वामी पराक्रमेश यदि चतुर्थभाव में बैठा हो, तो जातक अपने पिता, भाई – बहन एवं कुटुम्बियों द्वारा सुख प्राप्त करने वाला, माता का विरोधी एवं पैतृक – धन को नष्ट करने वाला होता है।
  5. तृतीयभाव का स्वामी पराक्रमेश यदि पंचमभाव में बैठा हो, तो जातक अपने पुत्र, भ्रातृ – पुत्र (भतीजे ) अथवा भाइयों द्वारा पालित, दीर्घायु तथा परोपकारी होता है।
  6. तृतीयभाव का स्वामी पराक्रमेश यदि षष्ठभाव में बैठा हो, तो जातक नेत्र- रोगी, भूमि का लाभ प्राप्त करने वाला, भाई – बंधुओं का विरोधी तथा किसी रोग विशेष से पीड़ित रहने वाला होता है।
  7. तृतीयभाव का स्वामी पराक्रमेश यदि सप्तमभाव में बैठा हो, तो जातक की स्त्री सौभाग्यवती, सुशील तथा पतिव्रता होती है। यदि तृतीयेश पाप ग्रह हो, तो जातक की स्त्री अपने देवर से प्रेम करने वाली होती है।
  8. तृतीयभाव का स्वामी पराक्रमेश यदि अष्टमभाव में बैठा हो, तो जातक भाई – बहनो से रहित होता है। यदि तृतीयेश पाप ग्रह हो, तो वह बाहु – हीन होता है और यदि जीवित रहता है , तो उसकी आयु केवल आठ वर्ष की होती है।
  9. तृतीयभाव का स्वामी पराक्रमेश यदि नवमभाव में बैठा हो और यदि वह शुभ ग्रह हो, तो जातक विद्वान तथा भाई बहनो से प्रेम रखने वाला होता है। यदि पराक्रमेश पाप ग्रह हो, तो जातक अपने बंधुओं से परित्यक्त होता है।
  10. तृतीयभाव का स्वामी पराक्रमेश यदि दशमभाव में बैठा हो, तो जातक माता – पिता का भक्त, भाइयों से विशेष प्रेम रखने वाला तथा राजा द्वारा सम्मानित होता है।
  11. तृतीयभाव का स्वामी पराक्रमेश यदि एकादशभाव में बैठा हो, तो जातक श्रेष्ठ बंधुओं वाला, भाई बहनो का पालन करने वाला, भोगी तथा राजा के समान ऐश्वर्यशाली होता है।
  12. तृतीभाव का स्वामी पराक्रमेश यदि द्वादशभाव में बैठा हो, तो जातक मित्रों का विरोधी, भाई बहनो को संताप देने वाला, आलसी तथा उद्योग – हीन होता है।
Dharmendar

Recent Posts

5 Everyday Things You Can Do to Get Lord Hanuman’s Blessings

5 Everyday Things You Can Do to Get Lord Hanuman’s Blessings 5 Everyday Things You…

4 days ago

11 Powerful Hindu Mantras Every Child Must Chant

11 Powerful Hindu Mantras Every Child Must Chant | fortunewithstars.com 11 Powerful Hindu Mantras Every…

2 weeks ago

Life Lessons to Learn from Lord Hanuman | Fortune With Stars

Life Lessons to Learn from Lord Hanuman | Fortune With Stars Life Lessons to Learn…

2 weeks ago

Daily Horoscope Today – 07 May 2025 | Zodiac Predictions

Daily Horoscope Today - 07 May 2025 | Zodiac Predictions Daily Horoscope Today – 07…

4 weeks ago

Daily Horoscope Today, May 4, 2025 – Accurate Zodiac Predictions

Daily Horoscope Today, May 4, 2025 - Accurate Zodiac Predictions Daily Horoscope for May 4,…

4 weeks ago

Daily Horoscope Today, May 3, 2025 – Accurate Zodiac Predictions

Daily Horoscope Today, May 3, 2025 - Accurate Zodiac Predictions Daily Horoscope for May 3,…

4 weeks ago