प्रथम भाव का स्वामी ” लग्नेश ” अथवा “प्रथमेश”
- प्रथमभाव अर्थात लग्न का स्वामी लग्नेश यदि लग्न अर्थात प्रथमभाव में ही बैठा हो, तो जातक दीर्घायु, स्वस्थ, निरोग, अत्यंत बलवान, राजा अथवा भूमि का स्वामी होता है।
- प्रथमभाव का स्वामी लग्नेश यदि द्वितीयभाव में बैठा हो, तो जातक स्थूल शरीर वाला, बलवान, दीर्घजीवी, धनवान, अत्यंत धर्मात्मा, राजा अथवा भूस्वामी होता है।
- प्रथमभाव का स्वामी लग्नेश यदि तृतीयभाव में बैठा हो, तो जातक शूर वीर, बलवान, श्रेष्ठ मित्रों वाला, दानी, धर्मात्मा तथा अच्छे भाई – बहनो वाला होता है।
- प्रथमभाव का स्वामी लग्नेश यदि चतुर्थभाव में बैठा हो, तो जातक अल्पभोजी, दीर्घायु, माता – पिता का भक्त, पिता द्वारा धन प्राप्त करने वाला, धनी, सुखी तथा राजा का प्रिय होता है।
- प्रथमभाव का स्वामी लग्नेश यदि पंचमभाव में हो, तो जातक दानी, दीर्घजीवी, धर्मात्मा, यशस्वी, सुखी, धनी, श्रेष्ठ पुत्रों वाला, राजा अथवा राजा के ही समान ऐश्वर्यशाली होता है।
- प्रथमभाव का स्वामी लग्नेश यदि षष्ठभाव में हो, तो जातक स्वस्थ, बलवान, धनी, श्रेष्ठ कर्म करने वाला, भूमि का स्वामी, प्रसिद्धी प्राप्त करने वाला तथा सुखी जीवन व्यतीत करने वाला होता है।
- प्रथमभाव का स्वामी लग्नेश यदि सप्तमभाव में हो, तो जातक तेजस्वी, परंतु शोकाकुल होता है। उसकी पत्नी अत्यंत सुंदरी, तेजस्वनी तथा सुशील होता है। ऐसे व्यक्ति के ग्रार्हस्थ्य – जीवन में कुछ परेशानियां आती रहती हैं।
- प्रथमभाव का स्वामी लग्नेश यदि अष्टमभाव में हो, तो जातक दीर्घायु, कृपण तथा धन का संचय करने वाला होता है। यदि अष्टमभाव में स्थित लग्नेश स्वयं पाप ग्रह हो अथवा किसी पाप ग्रह के साथ बैठा हो, तो जातक एक आँख का काना होता है। यदि शुभ ग्रह हो अथवा शुभ ग्रह के साथ बैठा हो, तो जातक सौम्य पुरुष होता है।
- प्रथमभाव का स्वामी लग्नेश यदि नवमभाव में हो, तो जातक अधिक कुटुंब वाला, सामान्य मित्रों वाला, विद्वान्, यशस्वी तथा सुखी एवं सम्मानित जीवन व्यतीत करने वाला होता है।
- प्रथमभाव का स्वामी लग्नेश यदि दशमभाव में हो, तो जातक राजा द्वारा धन एवं सम्मान का लाभ प्राप्त करने वाला, विद्वान्, सुशील, गुरु एवं माता – पिता का भक्त, यशस्वी तथा प्रसिद्ध पुरुष होता है।
- प्रथमभाव का स्वामी लग्नेश यदि एकादशभाव में हो तो जातक तेजस्वी, प्रसिद्धि – प्राप्त, पुत्रवान, बलवान, दीर्घायु, श्रेष्ठ वाहन रखने वाला, धनी तथा सुखी जीवन व्यतीत करने वाला होता है।
- प्रथमभाव का स्वामी लग्नेश यदि द्वादशभाव में हो, तो जातक पापी, नीच प्रकृति वाला, लोगों के विरूद्ध आचरण करने वाला, विदेशवासी, मानी तथा अधिक खर्च करने वाला होता है।