पंचम भाव के स्वामी संतानेश अथवा पंचमेश की विभिन्न भावों में स्थिति और फल

पंचमभाव का स्वामी ‘ संतानेश ‘ अथवा ‘ पंचमेश ‘

  1. पंचमभाव अर्थात संतान, विद्या एवं बुद्धि – स्थान का स्वामी संतानेश अथवा पंचमेश यदि लग्न अर्थात प्रथमभाव में बैठा हो, तो जातक अल्पसंततिवान, लोक प्रसिद्ध , सतकर्म करने वाला तथा वेद – शास्त्रों का ज्ञाता होता है।
  2. पंचमभाव का स्वामी पंचमेश यदि द्वितीयभाव में बैठा हो और वह पाप ग्रह हो, तो जातक धनहीन, दरिद्र होता है, परंतु यदि वह शुभ ग्रह हो, तो जातक धनवान होता है।
  3. पंचमभाव का स्वामी पंचमेश यदि तृतीयभाव में बैठा हो , तो जातक प्रिय वचन बोलने वाला और अपने भाइयों में प्रसिद्धि प्राप्त करने वाला होता है। उसके पुत्र उसके परिवार का पालन – पोषण करने वाले होते हैं।
  4. पंचमभाव का स्वामी पंचमेश यदि चतुर्थभाव में बैठा हो, तो जातक अपने पैतृक कर्म को करने वाला, पिता द्वारा पालित और माता का भक्त होता है। यदि पंचमेश पाप ग्रह हो, तो जातक अपने माता पिता का विरोधी होता है।
  5. पंचमभाव का स्वामी पंचमेश यदि अपने ही घर पंचमभाव में बैठा हो, तो जातक बुद्धिमान, गुणवान, मानी, संततिवान तथा प्रसिद्ध पुरुषों में भी प्रसिद्धि प्राप्त करने वाला, लोक विख्यात तथा यशस्वी होता है।
  6. पंचमभाव का स्वामी पंचमेश यदि षष्ठभाव में बैठा हो, तो जातक मान – हीन, रोगी, धनहीन तथा शत्रुओं द्वारा पीड़ित रहने वाला होता है। यदि पंचमेश पाप ग्रह हो तो यह अशुभ फल और भी अधिक होगा ऐसा समझना चाहिए।
  7. पंचमभाव का स्वामी पंचमेश यदि सप्तमभाव में बैठा हो, तो जातक के पुत्र सुन्दर, सुशील, देवता एवं गुरु के भक्त होते हैं। साथ ही उसकी पत्नी भी सुशील होती है।
  8. पंचमभाव का स्वामी पंचमेश यदि अष्टमभाव में बैठा हो, तो जातक विद्याविवेक से हीन तथा कटुभाषी होता है। उसकी स्त्री भी क्रूर स्वाभाव वाली होती है और भाई तथा पुत्र भी वैसे ही दुष्ट स्वभाव के होते हैं।
  9. पंचमभाव का स्वामी पंचमेश यदि नवमभाव में बैठा हो, तो जातक कवि, संगीतज्ञ, नाटककार, विद्वान्, बुद्धिमान राजमान्य तथा सुन्दर स्वरुप वाला होता है।
  10. पंचमभाव का स्वामी पंचमेश यदि दशमभाव में बैठा हो, तो जातक राजा का प्रिय, राजा का काम करने वाला, सतकर्म करने वाला, माता को सुख पहुंचाने वाला तथा सज्जनो में श्रेष्ठ होता है।
  11. पंचमभाव का स्वामी पंचमेश यदि एकादशभाव में बैठा हो , तो जातक पुत्र- संततिवान, सत्यवादी, शूरवीर, संगीत आदि कलाओं का जानकार तथा सुखी जीवन व्यतीत करने वाला होता है।
  12. पंचमभाव का स्वामी पंचमेश यदि द्वादशभाव में बैठा हो और वह पाप ग्रह हो तो जातक संतानहीन होता है। यदि शुभ ग्रह हो, तो पुत्रवान होता है, परंतु वह पुत्रसुख से हीन तथा विदेशवासी होता है।
Dharmendar

Recent Posts

हनुमान चालीसा का पाठ दिन में कितनी बार करना चाहिए?

Hanuman Chalisa Ka Paath Kitni Baar Karna Chahiye : मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ करने…

3 days ago

गजकेसरी योग: 2025 में मिथुन राशि में बनेगा अद्भुत संयोग

2025 में 12 साल बाद बनेगा मिथुन राशि में गजकेसरी योग, इन 5 राशियों के…

2 weeks ago

Utpanna Ekadashi 2024: Date, Significance, and Rituals

Utpanna Ekadashi, falling on November 26, 2024, is a sacred day in the Hindu calendar…

1 month ago

Discover Your Spirit Animal Based on Your Zodiac Sign

Have you ever wondered what your spirit animal might be? These creatures are said to…

1 month ago

खरमास में क्यों नहीं होते विवाह और मांगलिक कार्य, जानें खरमास के विशेष नियम

Kharmas kaise Lagta Hai: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्यदेव देवताओं के गुरु बृहस्पति की राशि…

1 month ago