मिथुन लग्न की कुंडली में बुध का फल
मिथुन लग्न का संक्षिप्त फलादेश
मिथुन लग्न वाले व्यक्ति की आयु माध्यम होती है | वह अपनी प्रारंभिक अवस्था में सुखी, मध्यावस्था में दुखी तथा अंतिम अवस्था में पुनः सुखोपभोग करने वाला होता है | उसका भाग्योदय ३२ से ३५ वर्ष की आयु के बीच का होता है |
मिथुन लग्न में बुध का फल
जिस जातक का जन्म मिथुन लग्न में हुआ हो और जन्म कुंडली के प्रथमभाव में बुध की स्थिति हो, उसे बुध का फलादेश निचे लिखे अनुसार समझना चाहिए –
पहले केंद्र, एवं शरीर स्थान में स्वराशि मिथुन स्थित बुध के प्रभाव से जातक को शारीरिक सौंदर्य एवं स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है, साथ ही उसे माता, भूमि, मकान तथा घरेलू सुख भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं | ऐसा जातक विवेकी एवं यशस्वी भी होता है | यहाँ से बुध सातवीं दृष्टि से सप्तमभाव को देखता है | यहाँ स्त्री का विशेष सुख प्राप्त होता है एवं व्यवसाय के क्षेत्र में भी सफलता मिलती है | ऐसा जातक सुखी, शांत, धनी तथा प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने वाला होता है |
जिस जातक का जन्म मिथुन लग्न में हुआ हो और जन्म कुंडली के द्वितीयभाव में बुध की स्थिति हो, उसे बुध का फलादेश निचे लिखे अनुसार समझना चाहिए –
दूसरे धन एवं कुटुंब के भवन में अपने शत्रु चन्द्रमा की कर्क राशि पर स्थित बुध के प्रभाव से जातक धन एवं कुटुंब के सुख को प्राप्त करता है , परन्तु शारीरिक सुख में कुछ कमी रहती है | उसे माता के सुख में भी कुछ कमी रहती है परन्तु भूमि संपत्ति आदि का सुख प्राप्त होता है | यहाँ से बुध सातवीं दृष्टि से अपने मित्र शनि की मकर राशि में अष्टमभाव को देखता है , अतः जातक की आयु में वृद्धि होती है तथा पुरातत्व का लाभ होता है |
जिस जातक का जन्म मिथुन लग्न में हुआ हो और जन्म कुंडली के तृतीयभाव में बुध की स्थिति हो, उसे बुध का फलादेश निचे लिखे अनुसार समझना चाहिए –
तीसरे पराक्रम एवं भाई बहन के घर में अपने मित्र सूर्य की सिंह राशि पर स्थित बुध के प्रभाव से जातक के पराक्रम में वृद्धि होती है तथा भाई बहन का सुख भी प्राप्त होता है | साथ ही जातक को माता के सुख एवं भूमि, मकान आदि की उपलब्धि भी होती है | ऐसा जातक बहादुर तथा हिम्मतवाला होता है | यहाँ से बुध सातवीं मित्रदृष्टि से नवमभाव को शनि की कुम्भ राशि में देखता है, अतः जातक अपने पुरुषार्थ एवं विवेक द्वारा भाग्य की उन्नति तथा धर्म का पालन भी करता है | ऐसे जातक का स्वभाव सम- सज्जन, यशस्वी तथा धैर्यवान होता है |
जिस जातक का जन्म मिथुन लग्न में हुआ हो और जन्म कुंडली के चतुर्थभाव में बुध की स्थिति हो, उसे बुध का फलादेश निचे लिखे अनुसार समझना चाहिए –
चौथे केंद्र, माता एवं भूमि- भवन के स्थान में अपनी कन्या राशि पर स्थित उच्च के बुध के प्रभाव से जातक को माता द्वारा बहुत सुख प्राप्त होता है तथा भूमि, मकान संपत्ति आदि की भी प्राप्ति होती है | ऐसे जातक का मनोविनोद के स्थान तथा शारीरिक सौंदर्य का भी लाभ होता है | यहाँ से बुध सातवीं नीचदृश्टि से गुरु की मीन राशि में दशमभाव को देखता है, अतः पिता के स्थान में कुछ हानि उठानी पड़ती है तथा राज्य एवं व्यवसाय के क्षेत्रों में भी कुछ कमी बनी रहती है |
जिस जातक का जन्म मिथुन लग्न में हुआ हो और जन्म कुंडली के पंचमभाव में बुध की स्थिति हो, उसे बुध का फलादेश निचे लिखे अनुसार समझना चाहिए –
पांचवें त्रिकोण विद्या, बुद्धि एवं संतान के भाव में अपने मित्र शुक्र की तुला राशि पर स्थित बुध के प्रभाव से जातक को संतान एवं विद्या बुद्धि का विशेष लाभ प्राप्त होता है | ऐसा जातक बड़ा समझदार, गंभीर, चतुर तथा आत्मविश्वासी होता है | सब लोग उसे बहुत योग्य व्यक्ति मानते हैं | यहाँ से बुध सातवीं मित्रदृष्टि से मंगल की मेष राशि में एकादशभाव को देखता है, अतः जातक को अपनी शारीरिक एवं बौद्धिक शक्ति द्वारा पर्याप्त लाभ होता है | साथ ही माता, भूमि तथा भवन का सुख भी प्राप्त होता है | ऐसा जातक शांतिप्रिय तथा गंभीर स्वभाव का होता है |
जिस जातक का जन्म मिथुन लग्न में हुआ हो और जन्म कुंडली के षष्ठभाव में बुध की स्थिति हो, उसे बुध का फलादेश निचे लिखे अनुसार समझना चाहिए –
छठे शत्रु स्थान में अपने मित्र मंगल की वृश्चिक राशि पर स्थित बुध के प्रभाव से जातक को शत्रु- पक्ष में अपनी विवेक- शक्ति द्वारा सफलता प्राप्त होती है | ऐसा व्यक्ति शरीर से खूब परिश्रम करने वाला होता है | उसे माता के सुख तथा भूमि- भवन आदि के पक्ष में भी कमी रहती है | यहाँ से बुध सातवीं मित्रदृष्टि से न्यायभाव को देखता है, अतः जातक का खर्च अधिक रहता है तथा बाहरी सम्बन्ध से सुख प्राप्त होता है | उसे मामा से भी सुख मिलता है | झगडे- झंझटों के कारण कुछ परेशानी भी रहती है |
जिस जातक का जन्म मिथुन लग्न में हुआ हो और जन्म कुंडली के सप्तमभाव में बुध की स्थिति हो, उसे बुध का फलादेश निचे लिखे अनुसार समझना चाहिए –
सातवें केंद्र, स्त्री तथा व्यवसाय के भवन में अपने मित्र गुरु की धनु राशि में स्थित बुध के प्रभाव से जातक को स्त्री- पक्ष से श्रेष्ठ सुख एवं स्नेह प्राप्त होता है, तथा दैनिक जीवन में भी सुख शांति एवं सफलता मिलती है | ऐसे जातक को माता के पक्ष में कुछ कमी रहती है, परन्तु भूमि, मकान, भोग- विलास आदि का पर्याप्त सुख प्राप्त होता है | यहाँ से बुध अपनी ही मिथुन राशि में प्रथमभाव को देखता है, अतः शारीरिक सौंदर्य, मान, चतुराई तथा सुख की प्राप्ति भी होती है | ऐसा जातक बड़ा स्वाभिमानी होता है तथा यश भी प्राप्त करता है |
जिस जातक का जन्म मिथुन लग्न में हुआ हो और जन्म कुंडली के अष्टमभाव में बुध की स्थिति हो, उसे बुध का फलादेश निचे लिखे अनुसार समझना चाहिए –
आठवें मृत्यु तथा पुअतात्व के स्थान में अपने मित्र शनि की मकर राशि में स्थित बुध के प्रभाव से जातक को आयु तथा पुरातत्व का लाभ होता है, परन्तु माता के सुख में कमी होती है | शारीरिक सौंदर्य एवं स्वास्थ्य में त्रुटि रहती है तथा जातक को अपनी मातृभूमि , मकान से हटकर किसी अन्य स्थान पर रहना पड़ता है | यहाँ से बुध सातवीं मित्रदृष्टि से द्वितीयभाव को देखता है, अतः जातक धन वृद्धि के लिए प्रयतनशील बना रहता है तथा कुटुंब से सुख प्राप्त करता है , परन्तु शारीरिक सुख एवं शांति में परेशानी उपस्थित होती रहती है |
जिस जातक का जन्म मिथुन लग्न में हुआ हो और जन्म कुंडली के नवमभाव में बुध की स्थिति हो, उसे बुध का फलादेश निचे लिखे अनुसार समझना चाहिए –
नवें त्रिकोण, भाग्य तथा धर्म के भवन में अपने मित्र शनि की कुम्भ राशि पर स्थित बुध के प्रभाव से जातक अपने शारीरिक श्रम तथा विवेक शक्ति द्वारा उन्नति करता है तथा धर्म का पालन भी करता है | वह भूमि, मकान, माता के सुख आदि को भी प्राप्त करता है तथा भाग्यशाली बनकर अनेक प्रकार के सुखों का उपभोग करता है | यहाँ से बुध सातवीं मित्रदृष्टि से तृतीयभाव को देखता है, अतः जातक के पराक्रम में वृद्धि होती है तथा उसे भाई बहन का श्रेष्ठ सुख भी प्राप्त होता है | ऐसा जातक भाग्यवान, समझदार, सुखी, धनी, विवेकी, संतुष्ट तथा यशस्वी होता है |
जिस जातक का जन्म मिथुन लग्न में हुआ हो और जन्म कुंडली के दशमभाव में बुध की स्थिति हो, उसे बुध का फलादेश निचे लिखे अनुसार समझना चाहिए –
दसवें केंद्र, राज्य तथा पिता के भवन में मीन राशि पर स्थित नीच के बुध के प्रभाव से जातक कठिन शारीरिक श्रम द्वारा उन्नति के लिए प्रयतनशील रहता है | उसे पिता का अल्पसुख प्राप्त होता है तथा राज्य के क्षेत्र में भी विशेष सफलता नहीं मिलती | वह कभी अपमानित और कभी सम्मानित भी होता है | यहाँ से बुध सातवीं उच्च दृष्टि से प्रथमभाव को बुध की कन्या राशि में देखता है, अतः जातक के सुख – साधनो में वृद्धि होती है |
जिस जातक का जन्म मिथुन लग्न में हुआ हो और जन्म कुंडली के एकादशभाव में बुध की स्थिति हो, उसे बुध का फलादेश निचे लिखे अनुसार समझना चाहिए –
ग्यारहवें लाभ भवन में अपने मित्र मँगल की मेष राशि पर स्थित बुध के प्रभाव से जातक अपने शारीरिक श्रम एवं विवेक के द्वारा पर्याप्त लाभ उठाता है | साथ ही भूमि, संपत्ति, मकान तथा माता के सुख को भी प्राप्त करता है | यहाँ से बुध सातवीं मित्रदृष्टि से शुक्र की तुला राशि में पंचमभाव को देखता है, अतः जातक को संतानपक्ष से भी सुख मिलता है तथा विद्या – बुद्धि के क्षेत्र में भी सफलता प्राप्त होती है | ऐसा जातक सुखी, धनी, विवेकी, विद्वान, सुन्दर तथा मीठी वाणी बोलने वाला होता है |
जिस जातक का जन्म मिथुन लग्न में हुआ हो और जन्म कुंडली के द्वादशभाव में बुध की स्थिति हो, उसे बुध का फलादेश निचे लिखे अनुसार समझना चाहिए –
बारहवें व्ययभाव तथा बाहरी सम्बन्धो के भाव में अपने मित्र शुक्र की वृषभ राशि पर स्थित बुध के प्रभाव से जातक का खर्च अधिक रहता है | तथा बाहरी स्थानों के सम्बन्ध से लाभ प्राप्त होता रहता है | साथ ही माता, भूमि, मकान के सुख सम्बन्ध में कुछ कमी बनी रहती है तथा जातक को अपनी जन्मभूमि से दूर रहकर सुख प्राप्त होता है | यहाँ से बुध सातवीं मित्रदृष्टि से षष्ठभाव को मंगल की मेष राशि में देखता है, अतः जातक शत्रु पक्ष में शांति एवं विवेक के द्वारा सफलता प्राप्त करता है | खर्च की अधिकता के कारण भीतरी रूप से चिंतित रहते हुए भी वह अपने प्रभाव तथा सम्मान को बनाए रखता है |