कर्क लग्न में जन्म लेने वाले जातक का शरीर गौर वर्ण होता है। वह पित्त प्रकृति वाला, जल क्रीड़ा का प्रेमी, मिष्ठान्नभोजी, भले लोगों से स्नेह करने वाला, उदार, विनम्र, बुद्धिमान, पवित्र, श्माशील, धर्मात्मा,बड़ा ढीठ, कन्या- संततिवान, व्यवसायी, मित्रद्रोही, धनी, व्यसनी, शत्रुओं से पीड़ित, स्वभाव से कुटिल, कभी कभी विपरीत – बुद्धि का परिचय देने वाला, अपने जन्म-स्थान को छोड़कर अन्य स्थान में निवास करने वाला और पतले, परन्तु शक्तिशाली शरीर वाला होता है।
जिस जातक का जन्म कर्क लग्न में हुआ हो और जन्म कुंडली के प्रथमभाव में सूर्य की स्थिति हो, उसे सूर्य का फलादेश नीचे लिखे अनुसार समझना चाहिए –
Dhanu Lagan Mein Graho ka Phaladesh धनु लग्न का संक्षिप्त फलादेश धनु लग्न में जन्म लेने वाला जातक कार्य करने में कुशल, ब्राह्मण तथा देवताओं का भक्त, घोड़ों को रखने वाला, मित्रों के काम आने वाला, राजा के समीप रहने वाला, ज्ञानवान, अनेक कलाओं का ज्ञाता, सत्यप्रतिज्ञ, बुद्धिमान, सुन्दर, सती…
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