विंशोत्तरी महादशा के ग्रहों का फलादेश
आवशयक टिपण्णी – ग्रहों की महादशा का उक्त फलादेश सामान्य स्थिति में समझना चाहिए | यदि जन्म कुंडली में राहु, केतु, शनि, मंगल आदि क्रूर अथवा अशुभ फल देने वाले ग्रह उच्च राशि में स्वक्षेत्रगत अथवा शुभ फल देने की स्थिति में बैठे हों , तो उस परिस्थिति में इन अशुभ फल देने वाले ग्रहों की महादशा भी शुभ फलदायक बन जाती है | इसी प्रकार यदि जन्म कुंडली में चन्द्रमा, गुरु, शुक्र आदि शुभ फल देने वाले ग्रह नीच के शत्रु की राशि में अथवा अशुभ फल देने की स्थिति में बैठे हों, तो उस परिस्थिति में इन शुभ फल देने वाले ग्रहों की महादशा में भी अशुभ फल प्राप्त होता है | अंतर केवल यही है कि जन्म कुंडली स्थित शुभ फलदायक क्रूर ग्रहों की महादशा में अशुभ फल कम मात्रा में मिलता है | इसी प्रकार जन्म कुंडली स्थित अशुभ फलदायक शुभ ग्रहों की महादशा में जातक को शुभ फल भी कम मात्रा में ही प्राप्त होता है | यही बात अंतरदशा एवं प्रत्यंतरदशा आदि में ग्रहों के फलादेश का निर्णय करते समय भी ध्यान में रखनी चाहिए |
ग्रहों की महादशा के सामान्य फलादेश के संबंध में ऊपर कहा जा चुका है | महादशाओं के अंतर्गत विभिन्न ग्रहों की अन्तर्दशाओं के फलादेश को आगे लिखे अनुसार समझना चाहिए –
गुरु की महादशा में गुरु के अंतर का फल
गुरु की महादशा में गुरु की ही अंतर्दशा हो, तो जातक को पुत्र की प्राप्ति तथा धन एवं धर्म की वृद्धि का लाभ होता है | उसे सब वर्ण के लोगों से धन प्राप्त होता है तथा अन्य प्रकार के लाभ होते हैं |
गुरु की महादशा में शनि के अंतर् का फल
गुरु की महादशा में शनि की अंतर्दशा हो, तो जातक वेश्या के साथ समागम करता है | वह मघपान करता है तथा धन, धर्म, वस्त्र एवं सुख से हीन हो जाता है |
गुरु की महादशा में बुध के अंतर का फल
गुरु की महादशा में बुध की अंतर्दशा हो, तो जातक शरीर से स्वस्थ रहता है | वह गुरु, देवता तथा अग्नि – पूजन आदि सतकर्म करता है | उसे मित्रों का तथा धन आदि अनेक प्रकार के सुखों का लाभ होता है |
गुरु की महादशा में केतु के अंतर का फल
गुरु की महादशा में केतु की अंतर्दशा हो, तो जातक के पुत्र तथा भाइयों को चोट लगती है | वह स्थान – भ्रष्ट , इधर – उधर भ्रमण करने वाला तथा भोग रहित होता है |
गुरु की महादशा में शुक्र के अंतर का फल
गुरु की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा हो, तो जातक को शत्रु से भय, परिवार में कलह, स्त्रियों से पीड़ा, धन की हानि तथा मानसिक चिंताओं का सामना करना पड़ता है |
गुरु की महादशा में सूर्य के अंतर का फल
गुरु की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा हो, तो जातक को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है तथा राजा से सम्मान मिलता है | उसके तेज – प्रताप तथा साहस से अत्यधिक वृद्धि होती है और वह अनेक प्रकार के सुख प्राप्त करता है |
गुरु की महादशा में चन्द्रमा के अंतर का फल
गुरु की महादशा में चन्द्रमा की अंतर्दशा हो, तो जातक अनेक स्त्रियों के साथ भोग करता है | उसके शत्रु नष्ट हो जाते हैं | वह राजा के समान प्रतापी, सुख और ऐश्वर्यशाली होता है |
गुरु की महादशा में मंगल के अंतर का फल
गुरु की महादशा में मंगल की अंतर्दशा हो, तो जातक अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है और उसे धन, कीर्ति, स्वास्थय, यश एवं सौभाग्य की प्राप्ति होती है |
गुरु की महादशा में राहु के अंतर का फल
गुरु की महादशा में राहु की अंतर्दशा हो, तो जातक को भाई – बंधुओं से घबराहट, रोग – मृत्यु एवं कलह की प्राप्ति होती है | उसके अपने स्थान का भी नाश होता है |
विंशोत्तरी महादशा के ग्रहों का फलादेश सूर्य की महादशा में जातक का चित्त उद्विग्न बना…
विंशोत्तरी महादशा के ग्रहों का फलादेश सूर्य की महादशा में जातक का चित्त उद्विग्न बना…
विंशोत्तरी महादशा के ग्रहों का फलादेश सूर्य की महादशा में जातक का चित्त उद्विग्न बना…
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विंशोत्तरी महादशा के ग्रहों का फलादेश सूर्य की महादशा में जातक का चित्त उद्विग्न बना…
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