बृहस्पति, जिसे गुरु के नाम से भी जाना जाता है, विद्या और ज्ञान का ग्रह है, व्यक्ति के जीवन में उत्तम योग्यताएं एवं नई विचारधाराएं गुरु के प्रभाव द्वारा विस्तार पाती हैं. ज्योतिष में बृहस्पति को एक अत्यंत शुभ ग्रह माना गया है. बृहस्पति की स्थिति से भी अधिक इसकी दृष्टि को शुम माना गया है. किसी भी व्यक्ति की जन्मकुंडली में बृहस्पति के अनुकूल स्थिति में होने पर अद्भुत सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं.
एक शुभ बृहस्पति अन्य पाप ग्रहों को दूर करने में सक्षम है. इसलिए जनमकुंडली में बृहस्पति के शुभ प्रभाव वाले जातक बहुत भाग्यशाली माने जाते हैं. किसी भी कार्य में सफलता के लिए बृहस्पति ग्रह का बलवान होना आवश्यक है. जातक के जीवन में प्रसिद्धि प्राप्ति में जैसे सूर्य का अहम रोल होता है उसी प्रकार शुभता एवं जीवन में सुख प्राप्ति हेतु बृहस्पति ग्रह का अनुकूल होना आवश्यक माना जाता है.
जनमकुंडली में बृहस्पति का महत्वपूर्ण स्थान होता है. बृहस्पति ग्रह को सबसे शुभ और भाग्य के लिए जिम्मेदार माना जाता है. किसी भी शुभ मांगलिक काम में सफलता के लिए बृहस्पति ग्रह का मजबूत होना जरूरी है. जब कुण्डली में गुरु ग्रह मजबूत स्थिति में हो तो भाग्य साथ देता है, जिस कार्य में हाथ डालते हैं वह सफल होता है, विवाह समय पर होता है, शिक्षा अच्छी होती है और जातक पर गुरु की कृपा बनी रहती है. यदि यह ग्रह बृहस्पति कमजोर हो तो विवाह में देरी, कार्य में असफलता, जीवन में निराशा जैसी नकारात्मकता बढ़ती है. जो लोग काम शुरू करते हैं, वे लटके रह सकते हैं, उनमें सफलता पाने के लिए लम्बे इंतजार की आवश्यकता होती है.
शुभ ग्रह होने पर भी जब बृहस्पति कभी जनमकुंडली में कमजोर स्थान पर बैठ जाता है तो यह स्थिति गुरु दोष या कमजोर बृहस्पति का कारण बनती है. कमजोर बृहस्पति व्यक्ति के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है. साथ ही यह जातक के जीवन में दुर्भाग्य ला सकता है. कमजोर बृहस्पति के कारण आपको कुछ अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. बृहस्पति ग्रह को मजबूत करने और अपने भाग्य को मजबूत करने के लिए उपाय जरूर करने चाहिए ।
आइये जानते हैं बृहस्पति को मजबूत करने के सरल उपाय (Guru Grah Upay)