एकादशभाव का स्वामी ‘ लाभेश ‘ अथवा ‘ एकादशेश’

  1. एकादशभाव अर्थात लाभ स्थान का स्वामी लाभेश अथवा एकादशेश यदि लग्न अर्थात प्रथमभाव में बैठा हो, तो जातक शूर वीर, बलवान, दानी, सुन्दर तथा सबका प्रिय होता है। तृष्णा – दोष से उसकी अल्पायु में ही मृत्यु हो जाती है।
  2. एकदाषभाव का स्वामी लाभेश यदि लाभेश यदि द्वितीयभाव में बैठा हो और वह पाप ग्रह हो, तो जातक अल्पभोजी, अल्पायु, अल्पसुखि, रोगी तथा खोटे भाग्य वाला होता है। लाभेश शुभ ग्रह हो, तो जातक धनी होता है।
  3. एकादशभाव का स्वामी लाभेश यदि तृतीयभाव में बैठा हो, तो जातक भाई तथा स्त्री का पालक, उनमे प्रेम रखने वाला, भाई के शत्रुओं का नाशक तथा सुन्दर स्वरुप वाला होता है।
  4. एकादशभाव का स्वामी लाभेश यदि चतुर्थभाव में बैठा हो, तो जातक दीर्घजीवी, पिता में भक्ति रखने वाला, अपने धर्म का पालन करने वाला, समयानुसार कार्य करने वाला तथा सब कामों से लाभ प्राप्त करने वाला होता है।
  5. एकादशभाव का स्वामी लाभेश यदि पंचमभाव में बैठा हो, तो जातक पिता – पुत्र में प्रेम रखने वाला, समान गुणों वाला तथा अल्पायु होता है।
  6. एकादशभाव का स्वामी लाभेश यदि षष्ठभाव में बैठा हो, तो जातक शत्रुओं से युक्त एवं दीर्घ रोगी होता है। यदि लाभेश पाप ग्रह हो, तो उसकी मृत्यु परदेश में शत्रुओं के हाथ से होती है।
  7. एकादशभाव का स्वामी लाभेश यदि सप्तमभाव में बैठा हो, तो जातक सुशील, धनी, तेजस्वी, अधिकार – संपन्न, दीर्घायु तथा एक पत्नी वाला होता है।
  8. एकादशभाव का स्वामी लाभेश यदि अष्टमभाव में बैठा हो, तो जातक रोगी, मृतप्राय, दुखी तथा अल्पायु होता है। यदि लाभेश शुभ ग्रह हो, तो जातक स्वस्थ बना रहता है।
  9. एकादशभाव का स्वामी लाभेश यदि नवमभाव में बैठा हो, तो जातक अनेक विषयों तथा अनेक शास्त्रों का जानकार, धर्म – कार्य करने में प्रसिद्ध और देवता तथा गुरुजनो का भक्त होता है। यदि लाभेश पाप ग्रह हो, तो जातक बन्धुविहीन होता है।
  10. एकादशभाव का स्वामी लाभेश यदि दशमभाव में बैठा हो, तो जातक माता का भक्त, परंतु पिता से द्वेष रखने वाला, धनी, पंडित, दीर्घायु एवं परिजनों का पालन करने वाला होता है।
  11. एकदासभाव का स्वामी लाभेश यदि अपने ही घर अर्थात एकादशभाव में बैठा हो, तो जातक दीर्घायु, बहुत से पुत्र – पौत्रों वाला, सत्कर्म करने वाला, सुन्दर, सुशील, लोगों में प्रधान पद प्राप्त करने वाला, पुष्ट शरीर वाला तथा मनोवैज्ञानिक होता है।
  12. एकादशभाव का स्वामी लाभेश यदि द्वादशभाव में बैठा हो, तो जातक उपलब्ध वस्तुओं का भोग करने वाला, स्थिर चित्त वाला, उत्पाती, रोगी, मानी तथा सुखी जीवन व्यतीत करने वाला होता है।

Dharmendar

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