विंशोत्तरी महादशा के ग्रहों का फलादेश
- सूर्य की महादशा में जातक का चित्त उद्विग्न बना रहता है | उसे परदेशवास, चोट, अनेक प्रकार के क्लेश, क्षोभ , धन का नाश, भाई – बंधुओं से वियोग तथा राजकुल से भय आदि कष्टों का सामना करना पड़ता है |
- चन्द्रमा की महादशा में जातक के बल, वीर्य, प्रताप, सुख, धन, भोजन आदि की वृद्धि होती है | उसे मिष्टान- भोजन, दिव्य- शय्या, आसान, छत्र , वाहन, स्वर्ण, भूमि तथा अन्य अनेक प्रकार के ऐश्वर्यों की प्राप्ति होती है |
- मंगल की महादशा में जातक को शस्त्र के द्वारा चोट, अग्नि अथवा रोगों का भय, धन की हानि, चोरी, व्यवसाय में हानि, दैन्य, दुःख आदि कष्ट उठाने पड़ते हैं |
- राहु की महादशा में जातक को मति- भ्रम, सर्व – शून्य , विपत्ति, कष्ट, रोग, धन – नाश, प्रिय- वियोग, मृत्यु – तुल्य कष्ट तथा अन्य अनेक प्रकार के दुखों का सामना करना पड़ता है |
- गुरु की महादशा में जातक को राजा से सम्मान, मित्र एवं रत्नो का लाभ, शत्रुओं पर विजय, आरोग्य, शारीरिक बल तथा अनेक प्रकार के सुखों का लाभ होता है | उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं |
- शनि की महादशा में जातक को मिथ्या – अपवाद, बंधन, आश्रय का नाश, धन – धान्य तथा स्त्री से दुःख, सब कामों में हानि तथा असफलताओं का सामना करना पड़ता है |
- बुध की महादशा में जातक को अनेक प्रकार के भोग, सुख, धन, वैभव तथा दिव्या- स्त्रियों की प्राप्ति होती है | उसके आनंद तथा ऐश्वर्य की वृद्धि होती है |
- केतु की महादशा में जातक को अनेक प्रकार की आपत्ति – विपत्ति, भय, रोग, संकट, हानि, विषाद एवं अनर्थों का सामना करना पड़ता है | उसके प्राणों पर भी संकट बना रहता है |
- शुक्र की महादशा में जातक को मित्रों द्वारा उत्तम वस्तुओं की प्राप्ति, स्त्रियों द्वारा विलास, धन, हाथी, घोडा, वाहन, छत्र , राज्य, संपत्ति आदि की प्राप्ति होती है तथा उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं |
आवशयक टिपण्णी – ग्रहों की महादशा का उक्त फलादेश सामान्य स्थिति में समझना चाहिए | यदि जन्म कुंडली में राहु, केतु, शनि, मंगल आदि क्रूर अथवा अशुभ फल देने वाले ग्रह उच्च राशि में स्वक्षेत्रगत अथवा शुभ फल देने की स्थिति में बैठे हों , तो उस परिस्थिति में इन अशुभ फल देने वाले ग्रहों की महादशा भी शुभ फलदायक बन जाती है | इसी प्रकार यदि जन्म कुंडली में चन्द्रमा, गुरु, शुक्र आदि शुभ फल देने वाले ग्रह नीच के शत्रु की राशि में अथवा अशुभ फल देने की स्थिति में बैठे हों, तो उस परिस्थिति में इन शुभ फल देने वाले ग्रहों की महादशा में भी अशुभ फल प्राप्त होता है | अंतर केवल यही है कि जन्म कुंडली स्थित शुभ फलदायक क्रूर ग्रहों की महादशा में अशुभ फल कम मात्रा में मिलता है | इसी प्रकार जन्म कुंडली स्थित अशुभ फलदायक शुभ ग्रहों की महादशा में जातक को शुभ फल भी कम मात्रा में ही प्राप्त होता है | यही बात अंतरदशा एवं प्रत्यंतरदशा आदि में ग्रहों के फलादेश का निर्णय करते समय भी ध्यान में रखनी चाहिए |
ग्रहों की महादशा के सामान्य फलादेश के संबंध में ऊपर कहा जा चुका है | महादशाओं के अंतर्गत विभिन्न ग्रहों की अन्तर्दशाओं के फलादेश को आगे लिखे अनुसार समझना चाहिए –
चन्द्रमा की महादशा में चन्द्रमा के अंतर का फल
- चन्द्रमा की महादशा में चन्द्रमा की ही अंतर्दशा हो, तो जातक को वस्त्राभूषण, स्त्री- पुत्र आदि का लाभ होता है। उसे नींद अधिक आती है तथा उसे आत्मपक्ष में लाभ एवं कल्याण की प्राप्ति होती है।
चन्द्रमा की महादशा में मंगल के अंतर का फल
- चन्द्रमा की महादशा में मंगल की अंतर्दशा हो, तो जातक मंदागिन एवं पित्तजन्य व्याधियों से पीड़ित होता है। उसे अग्नि – भय, पदावनति तथा अन्य प्रकार के कष्ट भी उठाने पड़ते हैं।
चन्द्रमा की महादशा में राहु के अंतर का फल
- चन्द्रमा की महादशा में राहु की अंतर्दशा हो, तो जातक को शत्रु, रोग, अग्नि आदि का भय, धन का नाश, बंधू – बांधवों का नाश आदि दुखों का सामना करना पड़ता है। उसके लिए सुख प्राप्त करना कठिन हो जाता है।
चन्द्रमा की महादशा में गुरु के अंतर का फल
- चन्द्रमा की महादशा में गुरु की अंतर्दशा हो, तो जातक को वस्त्राभूषण की प्राप्ति होती है। वह धर्माधर्म का विचार रखता है तथा सब प्रकार से सुखी रहता है।
चन्द्रमा की महादशा में शनि के अंतर का फल
- चन्द्रमा की महादशा में शनि की अंतर्दशा हो, तो जातक को भाई – बंधुओं से उद्वेग, हानि, भय, शोक तथा संदेह की प्राप्ति होती है। व्यसनों के कारण उसे कष्ट उठाना पड़ता है तथा और भी अनेक प्रकार के दोष उपस्थित हो जाते हैं।
चन्द्रमा की महादशा में बुध के अंतर का फल
- चन्द्रमा की महादशा में बुध की अंतर्दशा हो, तो जातक को हाथी, घोडा, गाय, वाहन, धन आदि अनेक प्रकार की वस्तुएं प्राप्त होती हैं तथा सुख मिलता है।
चन्द्रमा की महादशा में केतु के अंतर का फल
- चन्द्रमा की महादशा में केतु की अंतर्दशा हो , तो जातक को मनोद्वेग, चपलता, धन- हानि, जन – हानि आदि का शिकार बनना पड़ता है।
चन्द्रमा की महादशा में शुक्र के अंतर का फल
- चन्द्रमा की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा हो , तो जातक के घर में कन्या का जन्म होता है। उसे मणि – मुक्ताहार आदि की प्राप्ति होती है तथा अनेक स्त्रियों के साथ संपर्क रहता है।
चन्द्रमा की महादशा में सूर्य के अंतर का फल
- चन्द्रमा की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा हो, तो जातक के शत्रुओं का नाश होता है, रोग नष्ट होते हैं, मनुष्यों में प्रभाव बढ़ता है तथा अनेक प्रकार के सुख एवं ऐश्वर्य की वृद्धि होती है।