चंद्र और ग्रहों की युति के प्रभाव: राशिफल और उपाय

ग्रहों की युति का फल

किस जन्म – लग्न के किस भाव में, किस राशि पर कौन – सा ग्रह स्थित हो, तो उसका क्या फलादेश होता है – इसका विस्तृत किया जा चूका है। अब हम विविध ज्योतिष ग्रथों के आधार पर ग्रहों की युति के फलादेश का वर्णन करते हैं। अर्थात जन्म – कुंडली के एक ही भाव में यदि दो, तीन, चार, पांच, छः अथवा सात ग्रह एक साथ बैठे हों, तो वे जातक के जीवन पर अपना क्या विशेष प्रभाव डालते हैं – इसकी जानकारी प्रस्तुत प्रकरण में दी जा रही है।

ग्रहों की युति से सम्बंधित आगे जो उदाहरण  – कुंडलियां दी गयी हैं वे सभी मेष लग्न ही हैं, अतः उन्हें केवल उदाहरण के रूप में ही समझना चाहिए। विभिन्न व्यक्तियों की जन्म – कुंडलियां विभिन्न लग्नो की होती हैं, इसी प्रकार विभिन्न ग्रहों की युति भी विभिन्न भावों में होती है। अस्तु, इन उदाहरण – कुंडलियों को मात्र आधार मानकर अपनी जन्म- कुंडली की लग्न, भाव तथा राशि का विचार करते हुए युति के प्रभाव का निष्कर्ष निकालना चाहिए।

ग्रहों के संबंध में सामान्य सिंद्धांत यह है की ये ग्रह यदि अपने मित्र – ग्रह के साथ बैठे होते हैं, तो उसके प्रभाव को बढ़ाते हैं और शत्रु ग्रह के साथ बैठते हैं , तो उसके प्रभाव को घटाते हैं। राहु – केतु स्वयं कभी एक साथ नहीं बैठते। ये सदैव एक – दूसरे से सातवें स्थान  पर ही रहते हैं। 

दो ग्रहों की युति

दो ग्रहों की युति का प्रभाव नीचे लिखे अनुसार समझना चाहिए –

  • यदि जन्म – काल में चन्द्रमा और मंगल की युति हो, तो जातक मिटटी, चमड़ा अथवा धातुओं के शिल्प में कुशल (कारीगर), धनी, युद्ध- कुशल, प्रतापी, आचारहीन, कलह- प्रेमी, माता से शत्रुता रखने वाला, व्यवसाय द्वारा जीविकोपार्जन करने वाला तथा रक्त – विकार आदि रोगों से ग्रस्त रहता है।
  • यदि जन्म – काल में चन्द्रमा और बुध की युति हो, तो जातक धनी, गुणी, कवि, सुन्दर, हंसमुख, कुल – धर्म का पालन करने वाला, स्त्री में आसक्त, बहुत बोलने वाला, प्रियवादी, दयालु ह्रदय परंतु दुर्बल शरीर वाला होता है।
  • यदि जन्म – काल में चन्द्रमा और गुरु की युति हो, तो जातक देवता एवं ब्राह्मणो का भक्त, भाई – बहनो से स्नेह रखने वाला, दृढ मैत्री का निर्वाह करने वाला, सुशील, धनी, विनम्र, धर्मात्मा तथा गुप्त मन्त्र वाला होता है।
  • यदि जन्म – काल में चन्द्रमा और शुक्र की युति हो, तो जातक किसी वस्तु की बिक्री करने के कार्य में कुशल, शूद्रों के समान आचरण करने वाला, झगड़ालू, अल्प वस्त्राभूषणों वाला, अनेक प्रकार के व्यसनों में लिप्त, अनेक प्रकार की कार्य- विधियों का जानकार तथा सुगन्धित वस्तुओं में रूचि रखने वाला होता है।
  • यदि जन्म – काल में चन्द्रमा और शनि की युति हो, तो जातक व्यवसाय द्वारा आजीविका का उपार्जन करने वाला, पर – स्त्रियों से प्रेम करने वाला, आचारहीन, पुरुषार्थहीन, हाथी – घोड़ों को पालने वाला, वृद्धा स्त्री में आसक्त, अल्प संततिवान तथा वेश्या द्वारा धन प्राप्त करने वाला होता है।
Dharmendar

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