Chaitra Navratri 2024: चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी चैत्र नवरात्रि से हिंदू नववर्ष शुरू होता है। चैत्र नवरात्रि को वसंत नवरात्रि या चैती नवरात्रि भी कहा जाता है। इसे हिंदूओं की पहली नवरात्रि माना गया है। हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। Chaitra Navratri के 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना होती है । ये पर्व भारत में बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। इन नौ दिनों में माता रानी के भक्त उपवास रखते हैं और उनके अलग-अलग स्वरूपों की उपासना करते हैं। इसके अलावा नवरात्रि में कई शुभ कार्य किए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि की नौ तिथियां ऐसी होती हैं, जिसमें बिना मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है।
Chaitra Navratri 2024: साल 2024 में चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल 2024, मंगलवार से होगी। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना कर मां दुर्गा का आव्हान किया जाता है, ज्वारे बोए जाते हैं। 9 दिन भक्त व्रत रखकर माता की पूजा करते हैं। इस दिन महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा और आंध्र प्रदेश-कर्नाटक में उगादी का पर्व मनाया जाता है।
चैत्र नवरात्रि 2024 घटस्थापना मुहूर्त:
पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल 2024 को रात 11 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 9 अप्रैल 2024 को रात 08 बजकर 30 मिनट पर इसका समापन होगा।
घटस्थापना मुहूर्त – सुबह 06.02 – सुबह 10.16 (अवधि- 4 घंटे 14 मिनट)
कलश स्थापना अभिजित मुहूर्त – सुबह 11.57 – दोपहर 12.48 (51 मिनट)
चैत्र नवरात्रि 2024 तिथियां:
इस साल चैत्र नवरात्रि मंगलवार से शुरू हो रही है। नवरात्रि में मंगलवार और शनिवार के दिन मां का आगमन घोड़े पर होता है जिसे अशुभ माना गया है। इस बार चैत्र नवरात्रि 2024 में मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर धरती पर पधारेंगी। माता का वाहन घोड़ा प्राकृतिक आपदाओं का प्रतीक है। जानकारों के अनुसार, इसका अर्थ है कि हम भविष्य के संकटों के प्रति वर्तमान से ही सचेत हो जाएं।
चैत्र नवरात्रि की 9 देवियां:
चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। चैत्र नवरात्रि के आखिरी दिन यानी नवमी तिथि को राम नवमी का त्योहार मनाया जाता है।
चैत्र नवरात्रि पर घटस्थापना की विधि:
शास्त्रों के अनुसार जिस जगह चौकी घटस्थापना करनी है, सबसे पहले उस स्थान को गाय के गोबर से लीपें। फिर उस जगह पर जौ के बीज बोएं और एक मिट्टी का दीपक स्थापित करें। उसके बाद अपनी इच्छानुसार मिट्टी, तांबे, चांदी या सोने का कलश लें और उसमें पानी भरकर पूजा की सुपारी, सिक्का, हल्दी की गांठ और नारियल डालें। अब कलश को उस स्थान पर स्थापित करें और नीचे थोड़े गेहूं भी रखें। फिर अबीर, कुमकुम, फूल और चावल से कलश की पूजा करें। सबसे पहले गणपति की पूजा करें, फिर मां का आव्हान करें और अन्य ग्रहों का पूजन करें।
चैत्र नवरात्रि पर पूजा के नियम:
चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, कहा जाता है जहां घट स्थापित होते हैं वहां दुःख-दरिद्रता का नाश होता है और मां दुर्गा की कृपा से वैवाहिक जीवन में मधुरता और संतान सुख की प्राप्ति होती है। जिन घरों में नवरात्रि के दौरान घटस्थापना की जाती है उन्हें कभी अंधेरा न होने देना चाहिए, घर कभी सूना न छोड़े। अखंड ज्योति जलाई रखें और नवरात्रि के दौरान घर में कभी भी गंदगी न रखें। प्याज-लहसुन और मांसाहारी भोजन छोड़ें, और 9 दिन तक बाल, नाखून काटने और दाढ़ी-मूंछ न बनवाएं। नवरात्रि के दौरान काले रंग के कपड़े न पहनें और सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।
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