श्री गोवर्धन महाराज आरती - हिन्दी गीतिकाव्य

krishna, kunj bihari
श्री गोवर्धन महाराज आरती श्री गोवर्धन पर्वत की सबसे प्रसिद्ध आरती में से एक है। यह प्रसिद्ध आरती श्री गोवर्धन से सम्बन्धित अधिकांश अवसरों विशेषतः गोवर्धन पूजा पर गायी जाती है।
श्री गोवर्धन महाराज आरती - हिन्दी गीतिकाव्य  2
॥ आरती श्री गोवर्धन महाराज की ॥

श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,तोपे चढ़े दूध की धार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरी सात कोस की परिकम्मा,चकलेश्वर है विश्राम।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,ठोड़ी पे हीरा लाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,तेरी झाँकी बनी विशाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण,करो भक्त का बेड़ा पार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
श्री गोवर्धन महाराज आरती - हिन्दी गीतिकाव्य  3
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