भगवान नरसिंह आरती | आरती कीजै नरसिंह कुँवर की - हिन्दी गीतिकाव्य
आरती कीजै नरसिंह कुँवर की आरती भगवान नरसिंह को समर्पित है। यह भगवान नरसिंह की सबसे प्रसिद्ध आरती में से एक है। यह प्रसिद्ध आरती भगवान नरसिंह से सम्बन्धित अधिकांश अवसरों विशेषतः नरसिंह जयन्ती पर गायी जाती है।
ॐ जय नरसिंह हरे भगवान नरसिंह की एक और लोकप्रिय आरती है।
॥ आरती श्री नरसिंह भगवान जी की ॥
आरती कीजै नरसिंह कुँवर की।वेद विमल यश गाऊँ मेरे प्रभुजी॥
पहली आरती प्रह्लाद उबारे।हिरणाकुश नख उदर विदारे॥
दूसरी आरती वामन सेवा।बलि के द्वार पधारे हरि देवा॥
तीसरी आरती ब्रह्म पधारे।सहसबाहु के भुजा उखारे॥
चौथी आरती असुर संहारे।भक्त विभीषण लंक पधारे॥
पाँचवीं आरती कंस पछारे।गोपी ग्वाल सखा प्रतिपाले॥
तुलसी को पत्र कण्ठ मणि हीरा। हरषि-निरखि गावें दास कबीरा॥
आरती कीजै नरसिंह कुँवर की।वेद विमल यश गाऊँ मेरे प्रभुजी॥
पहली आरती प्रह्लाद उबारे।हिरणाकुश नख उदर विदारे॥
दूसरी आरती वामन सेवा।बलि के द्वार पधारे हरि देवा॥
तीसरी आरती ब्रह्म पधारे।सहसबाहु के भुजा उखारे॥
चौथी आरती असुर संहारे।भक्त विभीषण लंक पधारे॥
पाँचवीं आरती कंस पछारे।गोपी ग्वाल सखा प्रतिपाले॥
तुलसी को पत्र कण्ठ मणि हीरा। हरषि-निरखि गावें दास कबीरा॥