भगवान धन्वन्तरि आरती | जय धन्वन्तरि देवा - हिन्दी गीतिकाव्य

dhanwantri
जय धन्वन्तरि देवा भगवान धन्वन्तरि की सबसे प्रसिद्ध आरती में से एक है। यह प्रसिद्ध आरती भगवान धन्वन्तरि से सम्बन्धित अधिकांश अवसरों विशेष रूप से धन्वन्तरि त्रयोदशी पर गायी जाती है।
भगवान धन्वन्तरि आरती | जय धन्वन्तरि देवा - हिन्दी गीतिकाव्य  2
॥ आरती श्री धन्वन्तरि जी की ॥

जय धन्वन्तरि देवा,जय धन्वन्तरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ितजन-जन सुख देवा॥

जय धन्वन्तरि देवा…॥

तुम समुद्र से निकले,अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकटआकर दूर किए॥

जय धन्वन्तरि देवा…॥

आयुर्वेद बनाया,जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का,साधन बतलाया॥

जय धन्वन्तरि देवा…॥

भुजा चार अति सुन्दर,शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति सेशोभा भारी॥

जय धन्वन्तरि देवा…॥

तुम को जो नित ध्यावे,रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका,निश्चय मिट जावे॥

जय धन्वन्तरि देवा…॥

हाथ जोड़कर प्रभुजी,दास खड़ा तेरा
वैद्य-समाज तुम्हारेचरणों का घेरा॥

जय धन्वन्तरि देवा…॥

धन्वन्तरिजी की आरतीजो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए,सुख-समृद्धि पावे॥


जय धन्वन्तरि देवा…॥
भगवान धन्वन्तरि आरती | जय धन्वन्तरि देवा - हिन्दी गीतिकाव्य  3
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