पाँच ग्रहों की युति का ज्योतिषीय विश्लेषण: सूर्य, मंगल, बुध और अन्य ग्रहों के प्रभाव

ग्रहों की युति का फल

किस जन्म – लग्न के किस भाव में, किस राशि पर कौन – सा ग्रह स्थित हो, तो उसका क्या फलादेश होता है – इसका विस्तृत किया जा चूका है। अब हम विविध ज्योतिष ग्रथों के आधार पर ग्रहों की युति के फलादेश का वर्णन करते हैं। अर्थात जन्म – कुंडली के एक ही भाव में यदि दो, तीन, चार, पांच, छः अथवा सात ग्रह एक साथ बैठे हों, तो वे जातक के जीवन पर अपना क्या विशेष प्रभाव डालते हैं – इसकी जानकारी प्रस्तुत प्रकरण में दी जा रही है।

ग्रहों की युति से सम्बंधित आगे जो उदाहरण  – कुंडलियां दी गयी हैं वे सभी मेष लग्न ही हैं, अतः उन्हें केवल उदाहरण के रूप में ही समझना चाहिए। विभिन्न व्यक्तियों की जन्म – कुंडलियां विभिन्न लग्नो की होती हैं, इसी प्रकार विभिन्न ग्रहों की युति भी विभिन्न भावों में होती है। अस्तु, इन उदाहरण – कुंडलियों को मात्र आधार मानकर अपनी जन्म- कुंडली की लग्न, भाव तथा राशि का विचार करते हुए युति के प्रभाव का निष्कर्ष निकालना चाहिए।

ग्रहों के संबंध में सामान्य सिंद्धांत यह है की ये ग्रह यदि अपने मित्र – ग्रह के साथ बैठे होते हैं, तो उसके प्रभाव को बढ़ाते हैं और शत्रु ग्रह के साथ बैठते हैं , तो उसके प्रभाव को घटाते हैं। राहु – केतु स्वयं कभी एक साथ नहीं बैठते। ये सदैव एक – दूसरे से सातवें स्थान  पर ही रहते हैं। 

पांच ग्रहों की युति

पांच ग्रहों की युति का प्रभाव नीचे लिखे अनुसार समझना चाहिए –

  • यदि जन्म काल में सूर्य, मंगल, बुध, गुरु और शुक्र की युति हो, तो जातक स्वच्छ एवं सुन्दर शरीर वाला, समर्थ, कामी, धीर, राजा का प्रिय, सेनापति, बहुत से घोड़े रखने वाला, यशस्वी, धन – धान्य तथा सेवकों से युक्त होता है |
  • यदि जन्म काल में सूर्य, मंगल, बुध, गुरु और शनि की युति हो, तो जातक रोगी, मलीन, उद्विग्न चित्त वाला, जर्जर शरीर वाला, भिक्षुक, जड़, पुत्रवान तथा अल्प धन वाला होता है |
  • यदि जन्म काल में सूर्य, मंगल, बुध, शुक्र और शनि की युति हो, तो जातक रोग तथा शत्रुओं से ग्रस्त, स्थान – भ्रष्ट, विकल, बुभुक्षित, दुखी तथा दरिद्र होता है |
  • यदि जन्म काल में सूर्य, मंगल, गुरु , शुक्र और शनि की युति हो, तो जातक धातु, यंत्र एवं रसायन के कामों में प्रवीण तथा प्रसिद्ध प्राप्त करने वाला, विद्वान्, विचारवान, धनी, भाई – बंधुओं से युक्त तथा तपस्वी होता है |
  • यदि जन्म काल में सूर्य, बुध , गुरु , शुक्र और शनि की युति हो, तो जातक मित्रों का प्रिय, माता, पिता तथा गुरुजनो का भक्त, दयालु, धर्मात्मा, शास्त्रज्ञ, सुवक्ता, धनी तथा सेनापति होता है |
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