परशुराम आरती, ॐ जय परशुधारी - हिन्दी गीतिकाव्य

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ॐ जय परशुधारी भगवान परशुराम की सबसे प्रसिद्ध आरती में से एक है। यह प्रसिद्ध आरती भगवान परशुराम से सम्बन्धित अधिकांश अवसरों पर गायी जाती है।
परशुराम आरती, ॐ जय परशुधारी - हिन्दी गीतिकाव्य 2
॥ श्री परशुराम आरती ॥

ॐ जय परशुधारी,स्वामी जय परशुधारी।
सुर नर मुनिजन सेवत,श्रीपति अवतारी॥

ॐ जय परशुधारी…॥

जमदग्नी सुत नर-सिंह,मां रेणुका जाया।
मार्तण्ड भृगु वंशज,त्रिभुवन यश छाया॥

ॐ जय परशुधारी…॥

कांधे सूत्र जनेऊ,गल रुद्राक्ष माला।
चरण खड़ाऊँ शोभे,तिलक त्रिपुण्ड भाला॥

ॐ जय परशुधारी…॥

ताम्र श्याम घन केशा,शीश जटा बांधी।
सुजन हेतु ऋतु मधुमय,दुष्ट दलन आंधी॥

ॐ जय परशुधारी…॥

मुख रवि तेज विराजत,रक्त वर्ण नैना।
दीन-हीन गो विप्रन,रक्षक दिन रैना॥

ॐ जय परशुधारी…॥

कर शोभित बर परशु,निगमागम ज्ञाता।
कंध चाप-शर वैष्णव,ब्राह्मण कुल त्राता॥

ॐ जय परशुधारी…॥

माता पिता तुम स्वामी,मीत सखा मेरे।
मेरी बिरद संभारो,द्वार पड़ा मैं तेरे॥

ॐ जय परशुधारी…॥

अजर-अमर श्री परशुराम की,आरती जो गावे।
‘पूर्णेन्दु’ शिव साखि,सुख सम्पति पावे॥

ॐ जय परशुधारी…॥
परशुराम आरती, ॐ जय परशुधारी - हिन्दी गीतिकाव्य 3
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