वास्तुशास्त्र एक विज्ञान है जिसे प्राकृतिक तत्वों के नियमों पर आधारित किया जाता है। प्राकृतिक तत्व और ऊर्जाएं हमारे चारों ओर हमेशा मौजूद रहती हैं।
प्राकृतिक तत्वों को जानकर उन शाक्तियों के ऊर्जा प्रवाह के अनुकूल घर बनाकर या घर की चीजों को व्यवस्थित करके सुख-शान्ति व समृद्धि प्राप्त की जा सकती है।
जब तक किसी व्यक्ति के गृह सूखमय होते हैं, तब तक वास्तु दोष का प्रभाव दबा रहता है। हालांकि, जब एक व्यक्ति के ग्रहदशा कमजोर हो जाती है, तो एक ऐसे गृह में रहने से व्यक्ति कई समस्याओं, तनावों और स्वास्थ्य सम्बन्धित समस्याओं का सामना करता है।
उलटे, जब किसी व्यक्ति का घर वास्तुशास्त्र के अनुसार निर्मित होता है, तो उनके जीवन में यह दृढ़ और शांतिपूर्ण बना रहता है, चाहे उनकी ग्रहदशा कितनी भी कठिन क्यों न हो। वास्तुशास्त्र ने साबित किया है कि यह एक सकारात्मक ऊर्जा और सामंजस्य का स्रोत है।
अगर कभी भी आपको अपने घर में आकर्षिति की अभावना या असुविधा की भावना होती है, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप समझें कि यह संकेत हो सकता है कि वास्तु दोष मौजूद हो सकता है। वास्तु दोष आपके घर में दरिद्रता, रोग, कलह और अशांति की एक वातावरण बना सकता है।
वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों का उद्देश्य सबकुछ ‘क्यों’ और ‘कैसे’ का विवेचन नहीं करने का होता है, क्योंकि वास्तुशास्त्र की प्रभावकारिता का सबसे सटीक प्रमाण प्राक्टिकल फायदे और परिणाम होते हैं। कुछ उपयोगी, अत्यन्त सरल एवं प्रभावी प्रयोग इस प्रकार हैं –
2. मुख्य प्रवेश द्वार पर हमेशा एक महत्वपूर्ण शुभ प्रतीक (जैसे स्वास्तिक) लगाएं; इन प्रतीकों में नकारात्मकता को दूर करने की अद्भुत शक्ति होती है।
3. जब भी नया घर में बदलने का विचार हो, तो वास्तुशास्त्र के अनुसार एक गृहप्रवेश समारोह का आयोजन करें, शुभ माह और समय का चयन करें। यह समारोह घर को भाग्यशाली बनाता है।
4.मंगल यंत्र की विधिवत पूजन के बाद भवन के दक्षिण दिशा में गाढ़ने से वास्तु दोष दबा रहता है। मंगल यंत्र केवल तिकोने आकार का तांबे की प्लेट में उभरे अक्षरों से निर्मित होना ही विशेष फलप्रद होता है ।
5.मुख्य प्रवेश द्वार के दोनों प्रति शुभ प्रतीक जैसे स्वास्तिक को होना चाहिए। इन प्रतीकों से नकारात्मकता को घर के अंदर नहीं आने देते और भाग्य को आने देते हैं।
6.झाड़ू या सफाई के उपकरणों को मुख्य प्रवेश द्वार से छूने नहीं देना चाहिए। सही तरीके से रखने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बाधित नहीं होता है।
7.अपने घर में दिन में सुगंधक जलाएं, बेहतर है सूर्योदय और सूर्यास्त के समय; यह अपने घर के अंदर सकारात्मक और शांत वातावरण देता है।
8. जिस घर में असली दक्षिणावर्त शंख, पारद शिवलिंग, दक्षिणमुखी गणेश प्रतिमा, प्राण प्रतिष्ठत श्री यंत्र आदि है वहां पर सुख-शांति का वास होता है।
9.जिस घर में काली चीटियां समूहबद्ध होकर घूमती हो, वहां सुख-ऐश्वर्य में वृद्धि होती है। परन्तु यदि लाल चीटियां इस प्रकार से घूमें तो यह किसी बड़े नुकसान अथवा कष्ट आने का संकेत हो सकता है।
10.पृथ्वी तत्व की वृद्धि के लिये नंगे पांव घास पर रोज चलना चाहिए, ऐसा करने से शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ेगा जिससे आपका शरीर सुन्दर व मन स्वस्थ और सबल बनेगा।
11.कारखाने के मुख्य द्वार के दोनों तरफ शुभ चिन्ह जैसे स्वास्तिक, ऊं लगाने से उन्नति, तरक्की होती है तथा व्यवसाय में नया आर्डर सरलता से मिलता है।
12.शयन कक्ष में पूजा घर कभी नहीं बनाना चाहिए, शयन कक्ष में देवी-देवताओं का चित्र लगाना दोष पूर्ण होता है।
13.घर में कहीं भी झाड़ू को खड़ी करके नहीं रखना चाहिए। इसी प्रकार उसे न तो ऐसी जगह रखना चाहिए जहां उसे पैर लगे या उसे लांघा जाता हो।
झाड़ू का अपमान करने से बरकत समाप्त हो जाती है तथा धनागमन के स्रोतों में कमी आती है।
14.प्रतिदिन सुबह घर में झाड़ू अवश्य लगानी चाहिए। संध्या के वक्त, जब दोनों समय मिलते है घर में झाड़ू पोंछा इत्यादि कार्य नहीं करना चाहिए।
15.भवन में उत्तर तथा पूर्व का अधिक से अधिक भाग खुला छोड़ना धन समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
ये सरल और शक्तिशाली वास्तु युक्तियां आपको एक मेलमिलापी और समृद्ध जीवन की दिशा में मदद कर सकती हैं।