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ग्रहों का मूल त्रिकोण राशि में प्रभाव: उच्चतम परिणाम

मूल त्रिकोण राशिगत ग्रहों का फल

मूल त्रिकोण राशिगत ग्रहों का सामान्य फल नीचे लिखे अनुसार होता है –

  • जिस जातक की जन्म कुंडली में सूर्य मूल त्रिकोण (सिंह राशि के 20 अंश तक) में हो, वह सम्माननीय, प्रतिष्ठित, पूजय, धनी एवं सुखी होता है |

उदहारण – कुंडली में सूर्य को जिस प्रकार मूल त्रिकोण राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |

  • जिस जातक की जन्म कुंडली में चंद्र मूल त्रिकोण (वृष राशि के 4 से 30 अंश तक) में हो, वह सुन्दर, सुखी, भाग्यशाली तथा धनवान होता है |

उदहारण – कुंडली में चन्द्रमा को जिस प्रकार मूल त्रिकोण राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |

  • जिस जातक की जन्म कुंडली में मंगल मूल त्रिकोण (मेष राशि के 18 अंश तक) में हो, वह सामान्य धनी, नीच, स्वार्थी, लम्पट, क्रोधी, चरित्रहीन, दुष्ट, निर्दयी तथा अपयशी होता है |

उदहारण – कुंडली में मंगल को जिस प्रकार मूल त्रिकोण राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |

  • जिस जातक की जन्म कुंडली में बुध मूल त्रिकोण (कन्या राशि के 16 से 20 अंश तक) में हो, वह महत्वाकांक्षी, चिकित्सिक, सैनिक, व्यवसायी, प्राध्यापक, विद्वान्, राजमान्य तथा धनवान होता है |

उदहारण – कुंडली में बुध को जिस प्रकार मूल त्रिकोण राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |

  • जिस जातक की जन्म कुंडली में गुरु मूल त्रिकोण (धनु राशि के 13 अंश तक) में हो, वह राजप्रिय, यशस्वी, सम्माननीय, भोगी, तपस्वी तथा सुखी होता है |

उदहारण – कुंडली में गुरु को जिस प्रकार मूल त्रिकोण राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |

  • जिस जातक की जन्म कुंडली में शुक्र मूल त्रिकोण (तुला राशि के 10  अंश तक) में हो, वह जागीरदार स्त्रियों का प्रिय एवं अनेक प्रकार के पुरस्कारों को जीतने वाला होता है

उदहारण – कुंडली में शुक्र को जिस प्रकार मूल त्रिकोण राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |

  • जिस जातक की जन्म कुंडली में शनि मूल त्रिकोण (कुम्भ राशि के 20 अंश तक) में हो, वह शूरवीर, साहसी, सेनापति, वैज्ञानिक, अस्त्र- शास्त्रों का निर्माता, कर्तव्यनिष्ट एवं जहाज- चालाक आदि होता है |

उदहारण – कुंडली में शनि को जिस प्रकार मूल त्रिकोण राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |

  • जिस जातक की जन्म कुंडली में राहु मूल त्रिकोण (कर्क राशि ) में हो, वह लोभी, वाचाल तथा धनी होता है |

उदहारण – कुंडली में राहु को जिस प्रकार मूल त्रिकोण राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |

Dharmendar

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