उच्च राशिगत ग्रहों का फल
उच्च राशिगत ग्रहों का सामान्य फल नीचे लिखे अनुसार होता है –
उदाहरण – कुंडली में जिस प्रकार सूर्य को मेष राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए
उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार सूर्य को वृष राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |
उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार मंगल को मकर राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |
उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार बुध को कन्या राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |
उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार गुरु को कर्क राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |
उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार शुक्र को मीन राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |
उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार शनि को तुला राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |
उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार राहु को मिथुन राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |
उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार केतु को धनु राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |
उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार राहु को वृष राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |
उदहारण – कुंडली में जिस प्रकार केतु को वृश्चिक राशि में स्थित दिखाया गया है, उसी प्रकार अन्य कुंडलियों में भी समझ लेना चाहिए |
विंशोत्तरी महादशा के ग्रहों का फलादेश सूर्य की महादशा में जातक का चित्त उद्विग्न बना…
विंशोत्तरी महादशा के ग्रहों का फलादेश सूर्य की महादशा में जातक का चित्त उद्विग्न बना…
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विंशोत्तरी महादशा के ग्रहों का फलादेश सूर्य की महादशा में जातक का चित्त उद्विग्न बना…
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