खरमास में क्यों नहीं होते विवाह और मांगलिक कार्य, जानें खरमास के विशेष नियम

Kharmas kaise Lagta Hai: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्यदेव देवताओं के गुरु बृहस्पति की राशि में जाते हैं, तो खरमास का आरंभ होता है। बृहस्पति की राशियां धनु और मीन हैं। साल में दो बार खरमास लगता है। इस साल का दूसरा खरमास 15 दिसंबर से शुरू हो रहा है। खरमास में सूर्यदेव का तेज धीमा होता है इसलिए खरमास में विवाह, मुंडन, सगाई, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। आइए, विस्तार से जानते हैं खरमास के बारे में और इसके विशेष नियम।
खरमास 15 दिसंबर, रविवार से शुरू हो रहे हैं। सूर्यदेव 15 दिसंबर को जब देव गुरु बृहस्पति की राशि यानी धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तो खरमास लगता है। खरमास शुरू होते ही शादी, गृह प्रवेश सगाई आदि शुभ मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। खरमास को लेकर अक्सर कई लोगों के मन में कई सवाल उठते हैं। जैसे, खरमास पर मंगल कार्य क्यों नहीं किए जाते और वे कौन-से कार्य हैं जिन्हें बिना किसी अड़चन के खरमास में किया जा सकता है। आइए, विस्तार से जानते हैं खरमास लगने का पौराणिक महत्व और खरमास के नियम क्या है।

खरमास कैसे लगता है

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्यदेव एक राशि से दूसरी राशि में एक महीने बाद परिवर्तन करते हैं। जब सूर्यदेव देवताओं के गुरु बृहस्पति की राशि में जाते हैं, तो खरमास का आरंभ होता है। बृहस्पति की राशियां धनु और मीन हैं। 15 दिसंबर को सूर्यदेव वृश्चिक राशि से बृहस्पति की राशि धनु में प्रवेश करेंगे। इससे खरमास की शुरुआत होगी। इससे पहले जब सूर्यदेव ने 14 मार्च को मीन राशि में प्रवेश किया था, तो भी खरमास लगा था। हर साल दो बार खरमास लगता है।

खरमास में क्यों नहीं किए जाते विवाह और मांगलिक कार्य

पौराणिक कहानियों के अनुसार जब सूर्यदेव पृथ्वी पर जीवन के दाता माने जाते हैं। सूर्य के ताप के बिना जीवन संभव नहीं है। सूर्य से प्रकृति जुड़ी हुई हैं। सूर्य जब बृहस्पति की राशियों में प्रवेश करते हैं, तो उनका तेज कम हो जाता है। सूर्य का तेज होना मांगलिक करने के लिए उत्तम नहीं माना जाता है। इसलिए इस दौरान लोग मांगलिक कार्य नहीं करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रहों के राजा हैं और पिता पक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं इसलिए खरमास लगने पर सूर्य का तेज कम होने को सौर परिवार के एक मुख्य व्यक्ति की स्थिति के समान माना जाता है और विवाह सहित कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते।

खरमास में सूर्यदेव की पूजा करें

खरमास में पूजा का खास महत्व है, खासकर सूर्यदेव की पूजा से आपको लाभ होगा। रोज सुबह उठकर सूर्यदेव को जल चढ़ाएं और सूर्य मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से सूर्यदेव की कृपा आप पर बनी रहेगी और भाग्य मजबूत होगा।

खरमास में गरीबों और जरुरतमंदो को अन्नदान करें

सर्द मौसम सभी लोगों के लिए एक जैसा नहीं होता। इस मौसम में कई लोगों की चुनौतियां बढ़ जाती हैं। विशेषकर जिन लोगों के पास मौलिक संसाधनों की कमी है उनका जीवन बहुत कष्टकर होता है इसलिए खरमास के सर्द दिनों में गरीब, जरुरतमंद और पशु-पक्षियों को अन्नदान करना चाहिए

खरमास में भगवान विष्णु की पूजा जरूर करें

खरमास में भगवान विष्णु की पूजा करने से बहुत लाभ होता है और ग्रहों की स्थिति अच्छी रहती है। खरमास के दौरान, भगवान विष्णु को पीले भोजन का भोग लगाना चाहिए और उनकी विधिवत पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से कुंडली में गुरु मजबूत होता है। साथ ही, भजन-कीर्तन करने से मन और शरीर में ऊर्जा आती है।

खरमास में दान-पुण्य करने का विशेष महत्व

हिंदू धर्म में दान-पुण्य को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। पौराणिक मान्यता है कि दान-पुण्य करने से हमारे अच्छे कर्म बढ़ते हैं और इसका फल हमें मृत्यु के बाद भी मिलता है। खासतौर पर खरमास में जब शुभ काम करने की मनाही होती है, तब दान-पुण्य जरूर करना चाहिए। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

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