अहोई माता आरती - हिन्दी गीतिकाव्य

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जय अहोई माता आरती अहोई माता की सबसे प्रसिद्ध आरती है। अहोई माता की इस प्रसिद्ध आरती को ज्यादातर अहोई अष्टमी के दिन गाया जाता है।
अहोई माता आरती - हिन्दी गीतिकाव्य 2
॥ आरती अहोई माता की ॥

जय अहोई माता,जय अहोई माता।
तुमको निसदिन ध्यावतहर विष्णु विधाता॥

जय अहोई माता…॥

ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमलातू ही है जगमाता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावतनारद ऋषि गाता॥

जय अहोई माता…॥

माता रूप निरंजनसुख-सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावतनित मंगल पाता॥

जय अहोई माता…॥

तू ही पाताल बसंती,तू ही है शुभदाता।
कर्म-प्रभाव प्रकाशकजगनिधि से त्राता॥

जय अहोई माता…॥

जिस घर थारो वासावाहि में गुण आता।
कर न सके सोई कर लेमन नहीं धड़काता॥

जय अहोई माता…॥

तुम बिन सुख न होवेन कोई पुत्र पाता।
खान-पान का वैभवतुम बिन नहीं आता॥

जय अहोई माता…॥

शुभ गुण सुंदर युक्ताक्षीर निधि जाता।
रतन चतुर्दश तोकूकोई नहीं पाता॥

जय अहोई माता…॥

श्री अहोई माँ की आरतीजो कोई गाता।
उर उमंग अति उपजेपाप उतर जाता॥

जय अहोई माता…॥
अहोई माता आरती - हिन्दी गीतिकाव्य 3
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